पाकिस्तान में आतंकवाद का इतिहास न केवल पड़ोसी देशों के लिए चिंता का कारण रहा है, बल्कि यह देश के भीतर भी गहरे सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव छोड़ चुका है। हाल ही में, पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ और पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने आतंकवाद से जुड़े पाकिस्तान के अतीत को लेकर कड़ी बातें की हैं, जिनसे इस विषय पर गंभीर चर्चा की जरूरत महसूस होती है।
पाकिस्तान का अतीत और आतंकवाद
ख्वाजा आसिफ ने हाल ही में स्वीकार किया कि पाकिस्तान ने तीन दशकों तक आतंकवादी संगठनों को समर्थन और फंडिंग दी थी, विशेषकर अमेरिका और पश्चिमी देशों के लिए। उन्होंने इसे एक बड़ी गलती माना, जिसकी सजा पाकिस्तान को अब तक भुगतनी पड़ रही है। उनके इस बयान से यह स्पष्ट होता है कि पाकिस्तान के आतंकी संगठनों के समर्थन ने न केवल क्षेत्रीय सुरक्षा को प्रभावित किया, बल्कि पाकिस्तान की आंतरिक स्थिति भी कमजोर की।
बिलावल भुट्टो का बयान
बिलावल भुट्टो ने भी इस मुद्दे पर अपने विचार रखे, लेकिन उन्होंने एक कदम आगे बढ़कर कहा कि पाकिस्तान का आतंकवाद से जुड़ा अतीत अब इतिहास बन चुका है। उनका कहना था कि “पाकिस्तान ने इसके लिए भारी कीमत चुकाई है, और चरमपंथी ताकतों के खिलाफ आंतरिक सुधार किए हैं।” यह बयान पाकिस्तान की आंतरिक राजनीति में बदलाव की ओर इशारा करता है, लेकिन उनके इस बयान में पाकिस्तान के आतंकवाद के इतिहास को पूरी तरह से खत्म करने का दावा किया गया, जो कि एक सवाल खड़ा करता है—क्या पाकिस्तान वाकई आतंकवाद से पूरी तरह से निपट चुका है?
खुद बिलावल भुट्टो की व्यक्तिगत कहानी
बिलावल भुट्टो के लिए यह मामला व्यक्तिगत भी है, क्योंकि आतंकवादियों ने उनकी मां, बेनज़ीर भुट्टो की हत्या की थी। इस दुखद घटना ने उन्हें न केवल राजनीतिक रूप से प्रभावित किया, बल्कि उनका आतंकवाद के खिलाफ विचार भी और मजबूत किया। उन्होंने कहा, “मैं खुद इन आतंकवादियों का शिकार रहा हूं।”
पाकिस्तान की दोहरी नीति पर सवाल
इन बयानों ने पाकिस्तान की दोहरी नीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एक ओर, पाकिस्तान आतंकवाद से जूझने का दावा करता है और दूसरी ओर, वह उन संगठनों का समर्थन करता रहा है, जो न केवल पाकिस्तान के लिए बल्कि भारत और अफगानिस्तान के लिए भी खतरा बने हुए हैं। इस दुविधा को स्पष्ट रूप से समझते हुए, पाकिस्तान के नेताओं के बयान इस बात की ओर इशारा करते हैं कि पाकिस्तान को अपनी आंतरिक और बाहरी नीतियों में सामंजस्य स्थापित करने की जरूरत है।
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते
हालांकि पाकिस्तान शांति की बात करता है, बिलावल भुट्टो ने हाल ही में यह भी कहा कि यदि भारत ने पाकिस्तान के खिलाफ उकसाया तो पाकिस्तान युद्ध के लिए तैयार है। यह बयान दोनों देशों के बीच तनाव को और बढ़ाने वाला हो सकता है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यदि किसी ने पाकिस्तान के सिंधु नदी पर हमला किया तो उसे मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। यह बयान इस समय आया है, जब जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले में 26 लोगों की मौत हो गई, जिसे पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा ने अंजाम दिया था।
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