2024 में सैन्य खर्चों में भारी वृद्धि के संकेत हैं, और इस पर विचार करते हुए, स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (SIPRI) द्वारा जारी की गई रिपोर्ट ने सैन्य खर्च को लेकर नए तथ्य सामने रखे हैं। रिपोर्ट के अनुसार, भारत का सैन्य खर्च पाकिस्तान के मुकाबले लगभग नौ गुना अधिक है, और यह वृद्धि दुनिया के सैन्य खर्च पर एक बड़ी छाप छोड़ रही है।
भारत का सैन्य खर्च: बढ़ती सुरक्षा चुनौतियाँ और वैश्विक स्थिति भारत, जो विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति है, ने 2024 में अपनी सैन्य क्षमता को बढ़ाया है। भारत का सैन्य खर्च 1.6 प्रतिशत बढ़कर 86.1 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि पाकिस्तान केवल 10.2 अरब डॉलर पर सिमट गया। यह आंकड़ा दोनों देशों के बीच बढ़ते तनाव और सुरक्षा चुनौतियों को दर्शाता है।
चीन का निरंतर सैन्य आधुनिकीकरण और वैश्विक ताकत में इजाफा चीन ने एशिया और ओशिनिया क्षेत्र में अपनी सैन्य शक्ति को और बढ़ाया है, जिसमें विशेष रूप से साइबर युद्ध क्षमताओं और परमाणु शस्त्रागार के विस्तार पर जोर दिया गया है। चीन का सैन्य खर्च 7 प्रतिशत बढ़कर 314 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो लगातार तीन दशकों से बढ़ रहा है। इस वृद्धि ने चीन को एशिया और ओशिनिया के सैन्य खर्च का आधा हिस्सा आवंटित करने में सक्षम बना दिया है।
रूस और यूरोप: युद्ध के प्रभाव से बढ़ता खर्च रूस और यूक्रेन के बीच चल रहा युद्ध यूरोप में सैन्य खर्च में उल्लेखनीय वृद्धि का कारण बन रहा है। रूस ने इस युद्ध को अपनी सैन्य क्षमता का परीक्षण मानते हुए, खर्च में बढ़ोतरी की है। यूरोप का सैन्य खर्च 17 प्रतिशत बढ़कर 693 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जो शीत युद्ध के अंत के बाद से सबसे ऊंचा स्तर है।
वैश्विक सैन्य खर्च का बढ़ता दबाव: 60 प्रतिशत खर्च इन पांच देशों का रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका, चीन, रूस, जर्मनी और भारत, ये पांच देश मिलकर वैश्विक सैन्य खर्च का 60 प्रतिशत हिस्सा बना रहे हैं। इन देशों का संयुक्त सैन्य खर्च 1635 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो एक चिंताजनक संकेत है कि वैश्विक स्तर पर सुरक्षा और सैन्य शक्ति में वृद्धि हो रही है।
आर्थिक नीतियों और भविष्य के प्रभाव यह सैन्य खर्च न केवल सुरक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि आर्थिक नीतियों पर भी इसका बड़ा असर पड़ रहा है। बढ़ते सैन्य खर्चों के साथ-साथ, देशों को अपनी आंतरिक नीतियों और विदेश नीति में बदलाव करने पड़ सकते हैं। पाकिस्तान और भारत के बीच बढ़ता तनाव इस बात का स्पष्ट संकेत है कि यह केवल सुरक्षा से जुड़ा हुआ मामला नहीं है, बल्कि वैश्विक राजनीति में भी महत्वपूर्ण बदलाव का कारण बन सकता है।
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