जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले के बाद भारत की कूटनीतिक और रणनीतिक कार्रवाई से पाकिस्तान बुरी तरह हिल गया है। भारत ने न केवल पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मंच पर घेरना शुरू कर दिया है, बल्कि सिंधु जल संधि को निलंबित कर पाकिस्तान को एक कड़ा संदेश भी दिया है — आतंक और वार्ता साथ-साथ नहीं चल सकते।
भारत की कार्रवाई से पाकिस्तान का संयम टूटा 26 निर्दोष नागरिकों की हत्या ने पूरे देश को झकझोर दिया है। आतंकियों ने पहले पीड़ितों का धर्म पूछा, फिर गोलियां बरसाईं। इस बर्बरता के बाद भारत सरकार ने दो टूक निर्णय लेते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित कर दिया — वह संधि जिसे भारत दशकों से निभा रहा था, भले ही पाकिस्तान बार-बार पीठ में छुरा घोंपता रहा हो।
बिलावल भुट्टो का जहरीला बयान — गुस्से में पाकिस्तान भारत की इस निर्णायक कार्रवाई से पाकिस्तान की राजनीति में बौखलाहट साफ दिखाई दे रही है। पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के प्रमुख बिलावल भुट्टो ने एक भड़काऊ बयान में कहा, “सिंधु हमारी है, चाहे इसमें पानी बहे या भारतियों का खून।” यह बयान न केवल असंवेदनशील है, बल्कि यह पाकिस्तान की आतंकी मानसिकता को भी उजागर करता है। भारत को गीदड़भभकी देने वाले बिलावल भूल जाते हैं कि नया भारत जवाब देना जानता है।
चोलिस्तान परियोजना पर विराम — पाकिस्तान में अंदरूनी कलह भारत द्वारा सिंधु जल संधि को निलंबित किए जाने के बाद, पाकिस्तान सरकार ने अपनी विवादास्पद ‘चोलिस्तान नहर परियोजना’ को भी रोक दिया है। इस परियोजना को लेकर सिंध और पंजाब प्रांतों के बीच पहले ही मतभेद थे। बिलावल की पार्टी पीपीपी और पीएमएल-एन के गठबंधन में भी दरारें साफ नजर आ रही हैं। ऐसे में पाकिस्तान की राजनीतिक अस्थिरता और बढ़ गई है।
भारत का सख्त संदेश — आतंकी हमलों का जवाब अब रणनीतिक मोर्चे से भारत अब सिर्फ कड़े शब्दों से नहीं, बल्कि ठोस कदमों से जवाब दे रहा है। सिंधु जल संधि का निलंबन सिर्फ एक शुरुआत है। दुनिया को दिखाया जा रहा है कि भारत अपनी सुरक्षा, संप्रभुता और नागरिकों की रक्षा के लिए कोई भी कदम उठाने से पीछे नहीं हटेगा।
अब गूंजेगा भारत की दृढ़ता का स्वर पाकिस्तान की कूटनीतिक चालें, आतंकी हमले और झूठे आरोप अब भारत को रोक नहीं सकते। आज का भारत हर मोर्चे पर सक्षम और सजग है — चाहे वह सीमा हो या कूटनीति, चाहे वह पानी हो या पराक्रम। बिलावल भुट्टो जैसे नेताओं की बयानबाजी अब महज खोखली चीख लगती है, जिसे दुनिया गंभीरता से नहीं लेती।
अब सिंधु की लहरें भारत की चेतावनी बनकर बह रही हैं — हम शांति चाहते हैं, लेकिन आतंक का मुँहतोड़ जवाब देना जानते हैं।
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