सरकार द्वारा भ्रष्टाचार को जड़ से खत्म करने के उद्देश्य से शुरू की गई फेसलेस आयकर आकलन योजना को उस समय करारा झटका लगा, जब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने इस योजना का दुरुपयोग कर रहे एक IRS अधिकारी और एक चार्टर्ड अकाउंटेंट को गिरफ्तार कर लिया।
CBI ने शुक्रवार को आयकर विभाग के झंडेवालान कार्यालय में तैनात 2015 बैच के IRS अधिकारी डिप्टी कमिश्नर विजयेंद्र और गुजरात के भरूच में चार्टर्ड अकाउंटेंट दिनेश अग्रवाल को गिरफ़्तार किया। इन दोनों पर आरोप है कि इन्होंने लंबित कर मामलों में लाभ पहुंचाने के बदले रिश्वत की मांग की और गोपनीय जानकारी का दुरुपयोग किया।
योजना का उद्देश्य और विफलता की कहानी सरकार ने फेसलेस स्कीम की शुरुआत पारदर्शिता बढ़ाने, मानवीय हस्तक्षेप कम करने और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के लिए की थी। इस योजना में करदाता और कर अधिकारी के बीच कोई सीधा संपर्क नहीं होता, जिससे पक्षपात और घूसखोरी की संभावना कम हो जाती है। लेकिन यह मामला दर्शाता है कि भ्रष्ट तंत्र किस तरह किसी भी प्रणाली की कमजोर नस पकड़ कर उसे चकमा देने में सक्षम है।
कैसे हुआ भंडाफोड़? CBI ने आयकर विभाग की शिकायत के आधार पर प्रारंभिक जांच शुरू की थी। इस दौरान सामने आया कि दिनेश अग्रवाल एक ऐसे नेटवर्क का हिस्सा था जो करदाताओं से संपर्क करता था और लंबित मामलों को उनके पक्ष में निपटवाने के लिए रिश्वत की पेशकश करता था।
CBI के मुताबिक, अग्रवाल ने खुद को एक राजनीतिक नेता बताया और दावा किया कि उसने भाजपा नेताओं के लिए प्रचार किया है। साथ ही वह विभिन्न सरकारी विभागों के लिए ‘संपर्क एजेंट’ के रूप में भी काम करता रहा है।
संवेदनशील जानकारी का खुलासा जांच में यह भी सामने आया कि विजयेंद्र समेत कुछ अधिकारियों ने फेसलेस योजना से संबंधित गोपनीय जानकारी—जैसे कि किस अधिकारी को कौन-सा मामला सौंपा गया है, जांच के मुद्दे क्या हैं—अग्रवाल के साथ साझा की। इसके एवज में उन्होंने भारी रिश्वत ली। इस सूचना के आधार पर CA और उसका नेटवर्क करदाताओं को “सेटिंग” की सुविधा देने लगे।
CBI की छापेमारी 6 फरवरी को CBI ने दिल्ली, मुंबई, ठाणे, पश्चिम चंपारण (बिहार), बेंगलुरु और कोट्टायम (केरल) सहित 18 स्थानों पर छापेमारी की। जांच में कई डिजिटल सबूत, दस्तावेज और कथित लेन-देन के प्रमाण सामने आए, जिनके आधार पर FIR दर्ज की गई और आरोपियों की गिरफ्तारी हुई।
अब आगे क्या? गिरफ्तार दोनों आरोपियों को अदालत में पेश किया जाएगा। साथ ही, CBI इस बात की भी गहराई से जांच कर रही है कि कहीं इस नेटवर्क में और अधिक आयकर अधिकारी या राजनीतिक व्यक्ति तो शामिल नहीं हैं।
Discussion about this post