वेटिकन सिटी में इस सप्ताह इतिहास का एक भावुक क्षण घटित होगा, जब दुनिया भर से शीर्ष नेता और प्रतिनिधिमंडल महान आध्यात्मिक नेता पोप फ्रांसिस को अंतिम विदाई देने एकत्र होंगे। भारत की ओर से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 25 और 26 अप्रैल को वेटिकन का दौरा कर रही हैं, जहां वे पोप फ्रांसिस के राजकीय अंतिम संस्कार में शामिल होकर भारत सरकार और देशवासियों की ओर से श्रद्धांजलि अर्पित करेंगी।
विदेश मंत्रालय ने बताया कि राष्ट्रपति की यह दो दिवसीय यात्रा भारतीय जनमानस की करुणा, सम्मान और विश्वशांति के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक है। राष्ट्रपति मुर्मू का यह दौरा केवल एक औपचारिक उपस्थिति नहीं है, बल्कि यह उस आध्यात्मिक सौहार्द का प्रतिनिधित्व करता है जो भारत और वेटिकन के बीच समय के साथ विकसित हुआ है।
वैश्विक श्रद्धांजलि का केंद्र बना वेटिकन वेटिकन सिटी में आयोजित होने वाले पोप फ्रांसिस के अंतिम संस्कार में 130 से अधिक अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधिमंडल, जिनमें 50 राष्ट्राध्यक्ष और 10 सम्राट शामिल हैं, भाग लेंगे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनकी पत्नी मेलानिया, फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, जर्मन राष्ट्रपति फ्रैंक वॉल्टर स्टीनमायर, चांसलर ओलाफ स्कोल्ज़, रूसी संस्कृति मंत्री ओल्गा ल्यूबिमोवा, और यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की अपनी पत्नी ओलेना जेलेंस्का के साथ इस समारोह में शामिल होंगे।
भारत में राजकीय शोक की घोषणा पोप फ्रांसिस के सम्मान में भारत सरकार ने 26 अप्रैल को राजकीय शोक घोषित किया है। इस दिन देशभर के उन सभी भवनों पर, जहां नियमित रूप से राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, ध्वज आधा झुका रहेगा। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस संबंध में एक आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें पोप फ्रांसिस के योगदान और मानवीय मूल्यों के प्रति उनकी अटूट निष्ठा को सम्मानपूर्वक याद किया गया है।
प्रधानमंत्री मोदी की श्रद्धांजलि पोप फ्रांसिस के 21 अप्रैल को हुए निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गहरा शोक व्यक्त करते हुए उन्हें करुणा, विनम्रता और आध्यात्मिक साहस का प्रतीक बताया। पीएम मोदी ने कहा कि पोप ने अपने जीवन को गरीबों, पीड़ितों और वंचितों की सेवा में समर्पित किया, और उनके प्रति भारत के लोगों का स्नेह सदैव अमिट रहेगा।
भारत की राष्ट्रपति का यह दौरा न केवल एक औपचारिक कूटनीतिक पहल है, बल्कि यह विश्व बंधुत्व, सांस्कृतिक सहिष्णुता और मानवता के सार्वभौमिक मूल्यों के प्रति भारत की गहरी आस्था को भी दर्शाता है। पोप फ्रांसिस का जाना एक युग का अंत है, लेकिन उनके विचार, उपदेश और करुणा की मिसालें आने वाले समय में भी मानवता का मार्गदर्शन करती रहेंगी।
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