फिल्मों में जब कोई महिला अभिनेत्री आर्मी या पुलिस के किरदार में नजर आती है, तो थिएटर तालियों और सीटियों से गूंज उठता है। लेकिन जब असल ज़िंदगी में कोई महिला ऐसा साहस और समर्पण दिखाए, तो दिल से सलाम करने का मन करता है। ऐसी ही एक सच्ची और प्रेरणादायक कहानी है — खुशबू पाटनी की, जो किसी फिल्मी सुपरहीरो से कम नहीं हैं।
कौन हैं खुशबू पाटनी? खुशबू पाटनी उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की रहने वाली हैं और बॉलीवुड अभिनेत्री दिशा पाटनी की बड़ी बहन हैं। 23 नवंबर 1991 को जन्मीं खुशबू का बचपन एक अनुशासित और प्रेरणादायक माहौल में बीता, क्योंकि उनके पिता एक रिटायर्ड पुलिस अधिकारी हैं। पिता की तरह ही देशभक्ति की भावना से प्रेरित होकर खुशबू ने भी सेना में सेवा करने का सपना देखा।
शिक्षा और सेना में सफर बरेली के बीबीएल पब्लिक स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा लेने के बाद, उन्होंने डीआईटी स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग से इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन इंजीनियरिंग में डिग्री प्राप्त की। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने सेना में जाने की तैयारी शुरू कर दी थी और आखिरकार अपने लक्ष्य को हासिल किया।
खुशबू ने भारतीय सेना में 12 वर्षों तक लेफ्टिनेंट के पद पर कार्य किया। इस दौरान उन्होंने न केवल देश की सेवा की, बल्कि अनेक युवाओं के लिए एक आदर्श भी बनीं।
सेना के बाद नया सफर सेना से सेवा निवृत्त होने के बाद खुशबू बरेली लौट आईं, लेकिन उनका जज़्बा और सेवा का जज्बा वहीं नहीं रुका। आज वह फिटनेस कोच, काउंसलर, उद्यमी और टैरो कार्ड रीडर के रूप में लोगों को मार्गदर्शन देती हैं।
एक वीडियो जिसने देश का दिल छू लिया हाल ही में सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें खुशबू ने अपने घर के पीछे खंडहर में अकेले पड़े एक घायल बच्चे को बचाया। आवाज सुनकर उन्होंने बिना देरी किए दीवार फांदकर उस बच्चे को सुरक्षित बाहर निकाला। यह बच्ची करीब आठ-नौ महीने की थी और उसके चेहरे पर चोट के निशान थे।
खुशबू ने न केवल बच्ची को बचाया, बल्कि उसे ‘राधा’ नाम दिया और तुरंत पुलिस को सूचना दी। उनकी मदद से पुलिस ने बच्ची के माता-पिता को खोज निकाला। यह घटना न केवल इंसानियत की मिसाल बनी, बल्कि खुशबू को एक रीयल लाइफ हीरो के रूप में स्थापित कर गई।
प्रेरणा हर उस महिला के लिए खुशबू पाटनी की कहानी उन सभी महिलाओं के लिए एक संदेश है जो सोचती हैं कि एक इंसान अकेले क्या कर सकता है। वह बताती हैं कि अगर नीयत साफ और दिल में जुनून हो, तो कोई भी महिला सुपरहीरो बन सकती है — बिना केप के, लेकिन पूरे हौसले के साथ।
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