जम्मू-कश्मीर की वादियों में एक बार फिर आतंक ने अपने नापाक इरादों से खून की होली खेल दी है। मंगलवार को पहलगाम के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल बैसरन घाटी में एक भीषण आतंकी हमला हुआ जिसमें अब तक 26 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है। इस हमले में दो विदेशी पर्यटक और दो स्थानीय निवासी भी शामिल हैं। लगभग एक दर्जन लोग गंभीर रूप से घायल हैं, जिन्हें श्रीनगर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया है।
पर्यटकों को बनाया निशाना प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार, आतंकियों ने पहले लोगों की पहचान पूछी और फिर अंधाधुंध गोलियां बरसाईं। यह हमला उस समय हुआ जब बैसरन के घास के मैदानों में सैकड़ों पर्यटक टट्टू की सवारी कर रहे थे, भोजनालयों में खाना खा रहे थे और परिवारों संग पिकनिक मना रहे थे। हमला इस कदर अचानक और भीषण था कि लोग अपनी जान बचाने के लिए जंगल की ओर भागे।
TRF ने ली जिम्मेदारी इस हमले की जिम्मेदारी आतंकी संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट (TRF) ने ली है, जो लश्कर-ए-तैयबा का ही एक मुखौटा संगठन माना जाता है। सुरक्षा एजेंसियों के अनुसार यह हमला पाकिस्तान से ऑपरेट हो रहे लश्कर और जैश-ए-मोहम्मद की मिलीभगत का नतीजा है।
आतंक का एजेंडा: अमरनाथ यात्रा से पहले डर फैलाना यह हमला ऐसे समय में हुआ है जब कुछ ही दिनों में अमरनाथ यात्रा शुरू होने वाली है। सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकी संगठनों का मकसद श्रद्धालुओं और पर्यटकों में भय फैलाना है। यह हमला सुरक्षा बलों के लिए एक गंभीर चेतावनी है कि आने वाले समय में खतरे की आशंका और बढ़ सकती है।
सरकार की सख्त प्रतिक्रिया हमले की सूचना मिलते ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसकी घोर निंदा की और कहा, “आतंकवादियों को बख्शा नहीं जाएगा। उनका नापाक एजेंडा कभी सफल नहीं होगा।” उन्होंने मृतकों के परिजनों के प्रति गहरी संवेदना जताई और घायलों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह तुरंत श्रीनगर रवाना हो गए और सुरक्षा स्थिति की समीक्षा के लिए उच्च स्तरीय बैठक की। माना जा रहा है कि वे बुधवार को खुद पहलगाम का दौरा कर सकते हैं।
कैसे पहुंचा आतंकी समूह बैसरन? PTI की रिपोर्ट के अनुसार आतंकियों ने किश्तवाड़ से कोकरनाग होते हुए बैसरन घाटी तक का रास्ता अपनाया। यह इलाका ‘मिनी स्विट्ज़रलैंड’ के नाम से प्रसिद्ध है और अक्सर विदेशी पर्यटकों का भी आकर्षण केंद्र रहता है। इस बार आतंकियों ने उसी मासूम पर्यटन स्थल को लहूलुहान कर दिया।
पुलवामा के बाद सबसे घातक हमला विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला 2019 के पुलवामा हमले के बाद घाटी में आम नागरिकों पर सबसे भयानक हमला है। जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इसे “हाल के वर्षों में आम नागरिकों पर सबसे बड़ा हमला” करार दिया है।
अब क्या…?
इस हमले ने घाटी में शांति बहाल करने की कोशिशों को करारा झटका दिया है। आने वाले समय में सुरक्षा एजेंसियों की बड़ी चुनौती अमरनाथ यात्रा को सुरक्षित कराना होगा। सरकार ने संकेत दे दिए हैं कि जवाबी कार्रवाई सख्त होगी — लेकिन सबसे बड़ा सवाल यही है कि कब तक निर्दोष नागरिक इस आतंक का शिकार बनते रहेंगे?
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