मध्य पूर्व में तनाव अपने चरम पर पहुंचा, जब अमेरिकी सेना ने यमन के रास इस्सा तेल बंदरगाह पर जबरदस्त हवाई हमला किया। इस हमले में कम से कम 38 लोगों की मौत हो गई और 102 से अधिक लोग घायल हो गए।
यमन के हूती विद्रोहियों ने दावा किया है कि यह हमला अमेरिकी सेना द्वारा किया गया था, जिसका उद्देश्य हूतियों के ईंधन स्रोत को पूरी तरह खत्म करना था। अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने भी हमले की पुष्टि करते हुए बताया कि यह कार्रवाई हूती विद्रोहियों की आर्थिक रीढ़ को तोड़ने के मकसद से की गई थी।
ट्रंप के निर्देश के बाद तेज़ हुई सैन्य कार्रवाई राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जनवरी में पदभार संभालने के बाद से ही अमेरिका ने हूती विद्रोहियों के खिलाफ आक्रामक सैन्य नीति अपनाई है। 15 जनवरी से लगातार हूती ठिकानों को निशाना बनाया जा रहा है। अब तक की कार्रवाई में रास इस्सा पर हुआ हमला सबसे बड़ा और सबसे जानलेवा बताया जा रहा है।
क्यों है रास इस्सा इतना महत्वपूर्ण? रास इस्सा यमन का एक प्रमुख तेल बंदरगाह है, जहां से विद्रोही गुट ईंधन की आपूर्ति और तस्करी करते हैं। अमेरिका का कहना है कि यह बंदरगाह हूतियों की सैन्य और आर्थिक शक्ति का आधार है, जिसे खत्म करना ज़रूरी था। अल मसीरा टीवी के अनुसार, हमला इतनी ताकत से किया गया कि कई इमारतें जमींदोज़ हो गईं और स्थानीय नागरिकों को भारी जान-माल का नुकसान हुआ।
मानवीय संकट की आशंका हमले के बाद इलाके में अफरा-तफरी मच गई। घायलों को तुरंत स्थानीय अस्पतालों में भर्ती कराया गया, लेकिन सीमित मेडिकल सुविधाओं के कारण हालात बेहद खराब हैं। मानवीय संगठनों ने चेतावनी दी है कि इस तरह के हमलों से यमन की पहले से जर्जर स्वास्थ्य व्यवस्था और अधिक चरमरा सकती है।
गाजा युद्ध से जुड़ा है पूरा विवाद हूती विद्रोहियों ने नवंबर 2023 से समुद्री मार्ग से गुजरने वाले जहाजों पर हमले शुरू कर दिए थे। उनका दावा है कि वे इजरायल से जुड़े जहाजों को निशाना बना रहे हैं ताकि गाजा में हो रहे युद्ध के खिलाफ आवाज़ उठा सकें। हालांकि जनवरी में युद्धविराम के दौरान हमले रुके थे, लेकिन इजरायल द्वारा गाजा पर फिर से हमले शुरू करने के बाद हूतियों ने जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी।
अमेरिका का पक्ष अमेरिकी सेना ने X (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा, “हमले का उद्देश्य हूती विद्रोहियों की आर्थिक ताकत को खत्म करना था, ताकि वे अपने ही देशवासियों को नुकसान न पहुंचा सकें। हम यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि यमन की जनता को भविष्य में ऐसी हिंसा और अस्थिरता का सामना न करना पड़े।”
यह हमला सिर्फ एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि यमन में जारी संघर्ष की जटिलता और वैश्विक राजनीति का एक अहम हिस्सा है। रास इस्सा पर अमेरिकी बमबारी ने यह साफ कर दिया है कि मध्य पूर्व में टकराव की आग और भड़क सकती है। सवाल यह है कि क्या इस तरह की कार्रवाई शांति की दिशा में ले जाएगी, या फिर यह संकट को और अधिक गहरा कर देगी?
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