चीन पर 245 प्रतिशत तक के भारी टैरिफ लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के सुर अब नरम होते नजर आ रहे हैं। उन्होंने संकेत दिए हैं कि अमेरिका अब चीन के साथ एक मजबूत और “बहुत अच्छा” व्यापार समझौता करना चाहता है। ट्रंप का यह बयान ऐसे समय आया है जब वैश्विक व्यापार व्यवस्था में अस्थिरता और अमेरिकी व्यापार नीतियों पर दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं।
ट्रंप ने कहा, “हम एक सौदा करने जा रहे हैं। मुझे पूरा विश्वास है कि हम चीन के साथ एक बहुत अच्छा व्यापार समझौता करने जा रहे हैं।” ट्रंप का यह बयान स्पष्ट करता है कि अमेरिका अब टैरिफ युद्ध को समाप्त कर संवाद की राह अपनाना चाहता है।
चीन ने जताई सख्त आपत्ति, लेकिन रखी वार्ता की टेबल खुली इस बीच, चीन ने अमेरिका के इस कदम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता लिन जियान ने कहा कि टैरिफ युद्ध की शुरुआत अमेरिका ने की थी और चीन ने केवल अपने वैध अधिकारों की रक्षा की है। उन्होंने जोर देकर कहा कि, “टैरिफ और व्यापार युद्धों में कोई विजेता नहीं होता।”
चीन ने इस बात को दोहराया कि वह संघर्ष नहीं चाहता, लेकिन किसी भी स्थिति का सामना करने को तैयार है। साथ ही चीन ने हाथ मिलाने और बातचीत से समाधान निकालने की प्रतिबद्धता भी जाहिर की।
यूरोप की ओर भी बढ़े ट्रंप के कदम चीन के अलावा ट्रंप ने यूरोपीय देशों के साथ भी व्यापारिक रिश्तों को नए सिरे से शुरू करने का इशारा दिया है। व्हाइट हाउस में इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात के बाद ट्रंप ने कहा, “यूरोपीय संघ या किसी और के साथ व्यापार टैरिफ को लेकर समझौता करना अब कोई मुश्किल काम नहीं है। हम जल्द ही कोई रास्ता निकाल लेंगे।”
मेलोनी ने भी सकारात्मक संकेत देते हुए कहा, “हम पश्चिम को फिर से महान बनाना चाहते हैं और इसके लिए सहयोग बेहद ज़रूरी है। मुझे भरोसा है कि हम समझौते पर पहुँच सकते हैं।” ट्रंप ने मेलोनी के निमंत्रण को स्वीकार करते हुए भविष्य में रोम जाने और अन्य यूरोपीय नेताओं से मिलने की इच्छा जताई।
क्या अमेरिका नए व्यापार अध्याय की ओर बढ़ रहा है? ट्रंप की ये हालिया टिप्पणियाँ वैश्विक व्यापारिक मंच पर अमेरिका के रुख में संभावित बदलाव की ओर इशारा करती हैं। जहां एक ओर वह चीन पर सख्त टैरिफ लागू कर दबाव बना रहे हैं, वहीं दूसरी ओर संवाद की खिड़की भी खुली रखी है। यूरोपीय संघ से भी दोस्ताना रुख अपनाकर अमेरिका शायद अब टैरिफ युद्ध से निकलकर व्यापारिक स्थिरता की राह पकड़ना चाहता है।
ट्रंप के बदले सुर यह संकेत देते हैं कि वैश्विक स्तर पर व्यापारिक संतुलन की कोशिशें तेज हो रही हैं। जहां एक ओर शक्तिशाली देश अपने हितों की रक्षा कर रहे हैं, वहीं वार्ता और समझौतों के जरिए टकराव को कम करने की पहल भी हो रही है। आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह पहल वास्तव में किसी सकारात्मक व्यापार समझौते का रूप ले पाती है या फिर यह सिर्फ चुनावी बयानबाज़ी साबित होती है।
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