बिहार चुनाव 2025: महागठबंधन की राह पर तेजस्वी-राहुल की अहम बैठक

बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों ने रफ्तार पकड़ ली है और राजनीतिक दलों के बीच समीकरण तेज़ी से बदल रहे हैं। ऐसे में राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और कांग्रेस के बीच सीट शेयरिंग और मुख्यमंत्री पद के चेहरे को लेकर चल रही खींचतान के बीच 15 अप्रैल को दिल्ली में एक अहम बैठक हुई। इस बैठक में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव, कांग्रेस नेता राहुल गांधी और पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे मौजूद रहे।
बैठक को लेकर राजनीतिक गलियारों में काफी चर्चा है, क्योंकि इसे महागठबंधन की रणनीति और नेतृत्व के निर्धारण की दिशा में निर्णायक कदम माना जा रहा है। हालांकि बैठक के बाद भी मुख्यमंत्री पद को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है।
तेजस्वी यादव का बयान: “चिंता मत करिए, हम आपस में तय कर लेंगे”
बैठक के बाद मीडिया से बात करते हुए तेजस्वी यादव ने कहा,
“हम लोग आपस में बैठकर यह तय कर लेंगे कि मुख्यमंत्री पद का चेहरा कौन होगा। चिंता करने की कोई ज़रूरत नहीं है। हमारी पूरी तैयारी है। बिहार को आगे ले जाने का संकल्प है।”
तेजस्वी ने यह भी कहा कि 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की बड़ी बैठक होगी, जिसमें आगे की रणनीति तय की जाएगी। इस बैठक में संयुक्त रणनीति, संयुक्त कथा और संयुक्त कार्यान्वयन के आधार पर गठबंधन को मजबूत किया जाएगा।
नीतीश कुमार पर सीधा हमला
तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर भी तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा,
“नीतीश कुमार हाईजैक हो चुके हैं। एनडीए की सरकार अब बिहार में नहीं बनने जा रही है।”
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बिहार के साथ “सौतेला व्यवहार” किया गया है और राज्य से सबसे ज़्यादा पलायन हो रहा है।
महागठबंधन में सामंजस्य या संघर्ष?
जहां एक ओर आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव पहले ही तेजस्वी को मुख्यमंत्री पद के लिए अपना उम्मीदवार घोषित कर चुके हैं, वहीं कांग्रेस अभी तक इस पर स्पष्ट रुख नहीं अपना सकी है। पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस तेजस्वी यादव के नेतृत्व को लेकर पूरी तरह सहमत नहीं है और वह सीट शेयरिंग में भी सम्मानजनक हिस्सेदारी चाहती है।
सूत्रों का यह भी कहना है कि पटना में होने वाली बैठक में एक कोऑर्डिनेशन कमिटी का गठन किया जाएगा, जिसमें महागठबंधन के सभी दलों के प्रतिनिधि शामिल होंगे। साथ ही, पशुपति पारस जैसे नेताओं को गठबंधन में शामिल करने को लेकर भी सभी विकल्प खुले रखे गए हैं।
राजनीति की नई पटकथा: संयुक्त नेतृत्व की तैयारी
महागठबंधन इस बार “संयुक्त नेतृत्व” के मॉडल पर काम कर सकता है। इसका उद्देश्य है—
संयुक्त रणनीति: सीट बंटवारे और प्रचार अभियान में तालमेल
संयुक्त कथा: विकास, पलायन, रोजगार जैसे साझा मुद्दों पर फोकस
संयुक्त कार्यान्वयन: चुनाव बाद सरकार की नीतियों में समन्वय
आगे क्या?
तेजस्वी-राहुल की बैठक ने यह संकेत जरूर दे दिया है कि दोनों दल एकजुट होकर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, लेकिन सीएम फेस और सीटों के बंटवारे जैसे जटिल मुद्दों पर सहमति बनना अभी बाकी है।
17 अप्रैल की पटना बैठक को अब “टर्निंग प्वाइंट” के तौर पर देखा जा रहा है, जहां से महागठबंधन की चुनावी दिशा और दशा तय होगी।
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