इक्वाडोर में डेनियल नोबोआ की बड़ी जीत

इक्वाडोर में हाल ही में हुए राष्ट्रपति चुनावों में रूढ़िवादी विचारधारा वाले युवा नेता और करोड़पति व्यवसायी डेनियल नोबोआ ने वामपंथी उम्मीदवार लुइसा गोंजालेज को करारी शिकस्त देकर सत्ता की कुर्सी फिर से संभाल ली है। राष्ट्रीय निर्वाचन परिषद ने रविवार को नोबोआ को औपचारिक रूप से विजेता घोषित कर दिया।
चुनावों के दौरान मतगणना में नोबोआ ने अप्रत्याशित रूप से गोंजालेज पर 12 प्रतिशत अंकों की बढ़त बनाए रखी। लगभग 93% मतपेटियों की गिनती के साथ नोबोआ को 55.8% वोट मिले, जबकि गोंजालेज को 44.1% वोटों से ही संतोष करना पड़ा। यह अंतर करीब एक मिलियन (10 लाख) वोटों का है, जो इक्वाडोर जैसे देश के लिए बेहद अहम माना जा रहा है।
अपराध के खिलाफ ‘युद्ध’ बना जीत का मंत्र
डेनियल नोबोआ की छवि एक ऐसे नेता की है, जिसने अपराध और माफियाओं के खिलाफ कठोर कदम उठाने से कभी परहेज नहीं किया। इक्वाडोर, जो हाल के वर्षों में ड्रग तस्करी, हिंसा और संगठित अपराध से जूझ रहा है, वहाँ नोबोआ की कानून-व्यवस्था के पक्ष में कड़े और साहसी फैसले जनता को काफी पसंद आए।
उनकी नीतियों के कारण देश में कई बार आपातकाल भी घोषित करना पड़ा, लेकिन इसके चलते जनता के मन में उनके प्रति भरोसा और गहराता गया। चुनाव के दौरान उन्होंने एक बार फिर स्पष्ट किया कि देश में शांति और सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाएगी।
विरोधियों का आरोप: ‘इतिहास की सबसे भयावह चुनावी धांधली’
वहीं, हार स्वीकार करने के बजाय लुइसा गोंजालेज ने चुनाव परिणामों को लेकर सवाल खड़े किए हैं। उन्होंने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कहा कि वह इस नतीजे को स्वीकार नहीं करती हैं और पुनर्मतगणना की मांग करेंगी। उन्होंने इस चुनाव को इक्वाडोर के इतिहास की “सबसे खराब और सबसे भयावह चुनावी धोखाधड़ी” करार दिया है।
गोंजालेज, जो पूर्व राष्ट्रपति राफेल कोरेया की करीबी मानी जाती हैं, ने चुनावों में गरीबों के पक्ष में कल्याणकारी योजनाओं और सरकारी हस्तक्षेप को बढ़ावा देने की बात कही थी, लेकिन देश की वर्तमान परिस्थितियों में जनता ने स्पष्ट रूप से एक ‘मजबूत हाथ’ को प्राथमिकता दी।
क्या बदलने वाला है इक्वाडोर का भविष्य?
नोबोआ की जीत केवल एक चुनावी विजय नहीं है, यह देश के उस मानसिक बदलाव का प्रतीक है जहाँ लोग अब नीतियों से अधिक नेतृत्व में दृढ़ता और साहस को प्राथमिकता दे रहे हैं। डेनियल नोबोआ अब बड़ी जिम्मेदारी के साथ राष्ट्रपति पद पर लौटे हैं और उनसे उम्मीद की जा रही है कि वह ना सिर्फ अपराध को नियंत्रित करेंगे, बल्कि आर्थिक अस्थिरता और बेरोजगारी जैसे मुद्दों पर भी ठोस काम करेंगे।
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