भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू इन दिनों दो देशों की राजकीय यात्रा पर हैं। पुर्तगाल की सफल यात्रा के समापन के बाद, उन्होंने अब स्लोवाकिया के लिए अपने दौरे का दूसरा चरण शुरू कर दिया है। बुधवार को वह स्लोवाक गणराज्य की राजधानी ब्रातिस्लावा पहुंचीं, जिससे वह इस मध्य यूरोपीय देश का दौरा करने वाली दूसरी भारतीय राष्ट्रपति बन गई हैं। इससे पहले, करीब 29 साल पहले किसी भारतीय राष्ट्राध्यक्ष ने स्लोवाकिया की यात्रा की थी।
ऐतिहासिक और रणनीतिक महत्व राष्ट्रपति मुर्मू की यह यात्रा ऐतिहासिक तो है ही, साथ ही यह भारत-स्लोवाकिया के बीच गहरे होते राजनीतिक, सांस्कृतिक और औद्योगिक संबंधों का प्रतीक भी है। स्लोवाकिया में राष्ट्रपति मुर्मू का दो दिवसीय प्रवास बेहद व्यस्त और महत्वाकांक्षी कार्यक्रमों से भरा हुआ है। इस दौरान वह स्लोवाक राष्ट्रपति पीटर पेलेग्रिनी, प्रधानमंत्री रॉबर्ट फिको और संसद (राष्ट्रीय परिषद) के अध्यक्ष रिचर्ड रासी से मुलाकात करेंगी। प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ताओं के माध्यम से विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को और प्रगाढ़ करने पर बल दिया जाएगा।
सांस्कृतिक संबंधों की मजबूत नींव भारत और स्लोवाकिया के बीच संबंध केवल कूटनीतिक या व्यापारिक नहीं, बल्कि सांस्कृतिक भी हैं। स्लोवाकिया में संस्कृत भाषा के अध्ययन और महात्मा गांधी की रचनाओं के स्लोवाक अनुवाद इस बात का प्रमाण हैं कि दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान लंबे समय से जारी है। 2022 में जब यूक्रेन युद्ध के दौरान भारतीय छात्रों को निकालने की आवश्यकता पड़ी थी, तब भी स्लोवाकिया ने भारत को बहुमूल्य सहायता प्रदान की थी।
औद्योगिक सहयोग का प्रतीक: जेएलआर प्लांट इस यात्रा का एक प्रमुख आकर्षण नित्रा में स्थित टाटा मोटर्स की जगुआर लैंड रोवर (जेएलआर) विनिर्माण इकाई का दौरा है। यह अत्याधुनिक सुविधा भारत और स्लोवाकिया के औद्योगिक संबंधों की मजबूती को दर्शाती है। 1.4 बिलियन यूरो के निवेश से स्थापित यह प्लांट हर साल करीब 1.5 लाख वाहन बनाने की क्षमता रखता है। यह न केवल आर्थिक सहयोग को बढ़ावा देता है, बल्कि भारत की वैश्विक विनिर्माण क्षमता को भी प्रस्तुत करता है।
भारत-यूरोपीय संघ रणनीतिक साझेदारी में योगदान स्लोवाकिया 2004 में यूरोपीय संघ का सदस्य बना था, ठीक उसी समय जब भारत और यूरोपीय संघ ने अपनी रणनीतिक साझेदारी की शुरुआत की थी। इस लिहाज से भी यह यात्रा भारत की यूरोप नीति में एक महत्वपूर्ण कदम है। विदेश मंत्रालय के सचिव (पश्चिम) तन्मय लाल के अनुसार, स्लोवाकिया के साथ मजबूत राजनीतिक गति और व्यापारिक जुड़ाव देखने को मिल रहा है। खासकर ऑटोमोबाइल, इंजीनियरिंग और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में भारतीय कंपनियों की भागीदारी उल्लेखनीय है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की यह यात्रा केवल औपचारिक कूटनीतिक यात्रा नहीं, बल्कि भारत और स्लोवाकिया के संबंधों में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है। इससे दोनों देशों के बीच व्यापार, संस्कृति, शिक्षा और रक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग को नई दिशा और गति मिलेगी। यह दौरा भारत की “एक्ट ईस्ट” नीति की तरह यूरोप में “एक्ट वेस्ट” दृष्टिकोण का भी सशक्त उदाहरण बनता जा रहा है।
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