भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) मौजूदा वित्त वर्ष 2025-26 की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति (Monetary Policy) का ऐलान आज, 9 अप्रैल को करेगा। इस बार की मौद्रिक नीति कई मायनों में खास है, क्योंकि इसका ऐलान ऐसे समय पर हो रहा है जब वैश्विक अर्थव्यवस्था अमेरिकी टैरिफ के दबाव में है और महंगाई-मंदी की दोहरी मार की आशंका तेज हो गई है।
क्या फिर कटेगा रेपो रेट? आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा सुबह 10 बजे इस बहुप्रतीक्षित नीति का ऐलान करेंगे। विशेषज्ञों का मानना है कि महंगाई में आई नरमी और आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती को देखते हुए आरबीआई इस बार भी रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है। फरवरी में भी आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25% की कटौती कर इसे 6.25% पर ला दिया था, जो मई 2020 के बाद पहली बार हुआ था।
क्या कह रहे हैं एक्सपर्ट? एचएसबीसी ग्लोबल रिसर्च की रिपोर्ट के अनुसार, आरबीआई अप्रैल में रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकता है और साथ ही अधिशेष नकदी बनाए रखने के उपाय भी कर सकता है। वहीं गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि ब्रेंट कच्चे तेल और डॉलर इंडेक्स में गिरावट के कारण भारत को कुछ राहत मिली है, और यही समय है जब आरबीआई विकास को गति देने के लिए नीतिगत राहत दे सकता है।
रियल एस्टेट सेक्टर को मिल सकती है राहत एमआरजी ग्रुप के एमडी रजत गोयल का मानना है कि यदि रेपो रेट में कटौती होती है तो रियल एस्टेट सेक्टर को बड़ा सहारा मिल सकता है। कम ब्याज दर से होम लोन सस्ते होंगे और मध्यम वर्ग की रियल एस्टेट में दिलचस्पी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि महंगाई में गिरावट इस कटौती को जायज बनाती है।
ट्रंप के टैरिफ और वैश्विक मंदी की चिंता दुनिया भर की अर्थव्यवस्था पर अमेरिका के टैरिफ का दबाव साफ देखा जा सकता है। पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने विभिन्न देशों पर ‘रेसिप्रोकल टैरिफ’ लगाए हैं, जिनमें भारत पर यह दर 26% तक पहुंच गई है। इसका सीधा असर वैश्विक शेयर बाजारों और व्यापारिक गतिविधियों पर पड़ रहा है। आरबीआई की मीटिंग में इस मुद्दे पर भी चर्चा होना तय है।
भारत के लिए छिपे हैं मौके भी हालांकि भारत के मुकाबले चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और वियतनाम जैसे देशों पर अमेरिकी टैरिफ कम हैं, लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत को इस चुनौती में अवसर तलाशना होगा। विशेष रूप से उन सेक्टर्स में जहां भारत वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला का मजबूत विकल्प बन सकता है।
इस बार की मौद्रिक नीति सिर्फ रेपो रेट तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक व्यापक वैश्विक आर्थिक परिप्रेक्ष्य के बीच लिया जा रहा निर्णय है। आरबीआई की हर एक चाल न केवल भारतीय बाजार को दिशा देगी, बल्कि वैश्विक अस्थिरता के बीच भारत की मजबूती को भी दर्शाएगी।
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