यह कहानी है एक ऐसे युवा की, जिसने ज़िंदगी की कठिनाइयों को शिकस्त देकर अपने हौसले की उड़ान भरी। एक ऐसे देश में जहाँ अक्सर किसी की पहचान उसकी आर्थिक स्थिति से तय होती है, वहाँ हेमंत के. पारीक ने गरीबी को अपनी कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी सबसे बड़ी ताकत बना लिया। उनकी कहानी यह साबित करती है कि अगर इरादे मजबूत हों, तो कोई भी बाधा रास्ता नहीं रोक सकती।
गांव से निकलती उम्मीद की किरण
राजस्थान के एक छोटे से गाँव बीरन में जन्मे हेमंत ने बचपन से ही जीवन की कठोर सच्चाइयों का सामना किया। उनके पिता नहीं थे, और उनकी माँ एक दिहाड़ी मजदूर के रूप में घर चलाने के लिए दिन-रात मेहनत करती थीं। उन्होंने अपनी माँ को मनरेगा के अंतर्गत मजदूरी के लिए अधिकारियों से गुहार लगाते देखा। उसी दौरान पहली बार उन्होंने ‘कलेक्टर’ शब्द सुना — एक ऐसा व्यक्ति जिसके पास सत्ता थी, जिससे आम लोग उम्मीदें रखते थे।
यह क्षण उनके जीवन में एक निर्णायक मोड़ लेकर आया। उन्होंने मन ही मन ठान लिया कि एक दिन वे खुद अधिकारी बनेंगे — वह इंसान, जिसके दरवाज़े पर लोग सम्मान और भरोसे के साथ अपनी बात रख सकें।
दिल्ली की ओर पहला कदम – सिर्फ ₹1400 के साथ
अपने बड़े सपने को साकार करने के लिए हेमंत दिल्ली पहुँचे, और जेब में थे सिर्फ ₹1400। न कोई आर्थिक सहारा, न अंग्रेज़ी माध्यम की पढ़ाई, और न ही किसी महंगे कोचिंग संस्थान का सहारा। उन्हें डिप्लोमा में अंग्रेज़ी विषय में फेल तक होना पड़ा था, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।
हेमंत ने वह रास्ता चुना, जो मुश्किल था लेकिन ईमानदार था। उन्होंने इंटरनेट, यूट्यूब, और विश्वविद्यालय के शिक्षकों की मदद से पढ़ाई शुरू की। दिन-रात मेहनत की, और अपने लक्ष्य से कभी नज़र नहीं हटाई।
UPSC की सफलता – पहले ही प्रयास में कमाल
साल 2023 में, अपने पहले ही प्रयास में हेमंत ने देश की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक UPSC सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया रैंक 884 हासिल की। यह सिर्फ एक परिणाम नहीं था, यह उनके वर्षों के संघर्ष, समर्पण और आत्मविश्वास की जीत थी।
जब हेमंत ने यह खबर अपनी माँ को दी, तो उनकी आँखों से आँसू थम नहीं रहे थे — यह आँसू थे गर्व और खुशी के, उस बेटे के लिए जिसने समाज की तमाम रुकावटों को पार कर दिखा दिया कि हौसलों की कोई सीमा नहीं होती।
अब मिशन कलेक्टर – हेमंत की नई उड़ान
आज हेमंत लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (LBSNAA) में प्रशिक्षण ले रहे हैं। वह अब एक अधिकारी हैं — वही ओहदा, जिसकी कल्पना उन्होंने अपने गाँव के एक पल में की थी। जो लोग कभी उनकी अंग्रेज़ी, कपड़े, या पिछली स्थिति पर तंज कसते थे, आज उन्हीं की कामयाबी की मिसालें देते हैं।
लेकिन हेमंत के लिए यह मंज़िल नहीं है। उनका सपना अब भी अधूरा है — एक दिन कलेक्टर बनने का सपना। और जब तक वो सपना पूरा नहीं होता, हेमंत रुकने वाले नहीं।
संघर्ष से सीख – देश के युवाओं के लिए प्रेरणा
हेमंत पारीक की कहानी हमें यह सिखाती है कि परिस्थितियाँ चाहे जितनी भी कठिन हों, अगर मन में आग हो, तो कोई भी लक्ष्य दूर नहीं। शिक्षा सबसे बड़ा हथियार है, और आत्मविश्वास उसकी धार।
आज जब देश के लाखों युवा अपने सपनों को साकार करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, हेमंत जैसे उदाहरण उन्हें यह भरोसा दिलाते हैं कि ज़िंदगी की सबसे बड़ी चुनौतियाँ ही सबसे बड़ी कामयाबी का रास्ता खोलती हैं।
हेमंत ने हमें सिखाया है कि जब इरादे बुलंद हों, तो गरीबी, असफलता और ताने – कुछ भी आपके रास्ते की दीवार नहीं बन सकते।
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