कोलंबो: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बहुप्रतीक्षित श्रीलंका यात्रा का श्रीलंकाई सरकार और जनता द्वारा भव्य स्वागत किया गया। शनिवार शाम जब पीएम मोदी कोलंबो पहुंचे, तो एयरपोर्ट पर श्रीलंका सरकार के पांच मंत्रियों ने उनकी अगवानी की। इसके बाद कोलंबो के ऐतिहासिक स्वतंत्रता चौक पर उन्हें औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर और तोपों की सलामी दी गई, जिससे यह दौरा एक ऐतिहासिक और प्रतीकात्मक शुरुआत के रूप में दर्ज हो गया।
यह यात्रा 2019 के बाद पीएम मोदी की पहली श्रीलंका यात्रा है। इससे पहले वे 2015 और 2019 में इस पड़ोसी द्वीप राष्ट्र का दौरा कर चुके हैं। इस बार की यात्रा को भारत-श्रीलंका संबंधों में एक नया मोड़ और मजबूती देने के दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
रणनीतिक मुलाकातें और समझौते
दौरे के दूसरे दिन पीएम मोदी श्रीलंकाई प्रधानमंत्री हरिनी अमरसूर्या से मुलाकात करेंगे। इसके पूर्व वे राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के साथ केंद्रीय सचिवालय में द्विपक्षीय वार्ता करेंगे। इस महत्वपूर्ण बातचीत के दौरान दोनों देशों के बीच आर्थिक, रणनीतिक और सांस्कृतिक सहयोग को बढ़ाने पर चर्चा होगी।
विशेष रूप से श्रीलंका के ऋण पुनर्गठन और मुद्रा विनिमय व्यवस्था में भारत की सहायता को लेकर दो महत्वपूर्ण दस्तावेजों के सार्वजनिक किए जाने की संभावना है। इन समझौतों से श्रीलंका की आर्थिक स्थिति को स्थिरता मिलने की उम्मीद है।
ऊर्जा एवं आधारभूत संरचना में सहयोग
पीएम मोदी और राष्ट्रपति दिसानायके कोलंबो में भारत की सहायता से बनाई जा रही कई परियोजनाओं का लोकार्पण करेंगे। इनमें से सबसे प्रमुख है सामपुर सौर ऊर्जा परियोजना, जिसका वर्चुअल शिलान्यास भी इस दौरान किया जाएगा। यह परियोजना न केवल श्रीलंका को ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाएगी, बल्कि भारत-श्रीलंका की हरित ऊर्जा साझेदारी को भी नई दिशा देगी।
ऐतिहासिक स्थलों पर श्रद्धांजलि और दर्शन
अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी आईपीकेएफ (भारतीय शांति सेना) स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित करेंगे। यह कदम भारत और श्रीलंका के बीच अतीत के कुछ कठिन अध्यायों को पीछे छोड़कर एक नए भरोसेमंद भविष्य की ओर बढ़ने का प्रतीक माना जा रहा है।
इसके साथ ही, प्रधानमंत्री के ऐतिहासिक शहर अनुराधापुरा जाकर महाबोधि मंदिर के दर्शन करने की संभावना है। यह स्थान बौद्ध धर्म में अत्यंत पवित्र माना जाता है, जहां का बोधि वृक्ष भारत के बोधगया स्थित पवित्र वृक्ष की शाखा से उत्पन्न हुआ है।
रक्षा सहयोग की नई इबारत
पीएम मोदी की इस यात्रा के दौरान रक्षा सहयोग पर भी एक अहम समझौते की उम्मीद की जा रही है, जिससे भारत-श्रीलंका रक्षा संबंधों में नया अध्याय जुड़ेगा। यह पहल 35 वर्ष पहले आईपीकेएफ की वापसी से जुड़ी कड़वाहट को पीछे छोड़कर द्विपक्षीय विश्वास को और गहरा करेगी।
भारत की मदद से उबरा श्रीलंका
गौरतलब है कि दो साल पहले जब श्रीलंका एक भीषण आर्थिक संकट से जूझ रहा था, तब भारत ने 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर की सहायता प्रदान कर पड़ोसी धर्म निभाया था। आज जब श्रीलंका धीरे-धीरे आर्थिक स्थिरता की ओर बढ़ रहा है, तो यह दौरा दोनों देशों के भविष्य को नई ऊंचाइयों पर ले जाने में सहायक होगा।
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