अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को अमेरिका में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नई टैरिफ नीति की घोषणा की। इस नीति के तहत विभिन्न देशों पर अलग-अलग दरों से शुल्क लगाया गया है, जिसे ‘पारस्परिक टैरिफ’ का नाम दिया गया है। ट्रंप ने इस कदम को अमेरिका की आर्थिक स्वतंत्रता के रूप में परिभाषित किया। इस निर्णय के बाद वैश्विक व्यापार में नए तनाव पैदा होने की संभावना बढ़ गई है।
भारत सहित कई देशों पर टैरिफ लागू
ट्रंप प्रशासन द्वारा घोषित टैरिफ दरें विभिन्न देशों के लिए अलग-अलग रखी गई हैं। चीन पर 34%, यूरोपीय संघ पर 20%, जापान पर 24%, वियतनाम पर 46% और भारत पर 26% शुल्क लगाया गया है। इसी प्रकार, बांग्लादेश पर 37%, पाकिस्तान पर 29%, श्रीलंका पर 44% और इजरायल पर 17% शुल्क निर्धारित किया गया है। ट्रंप ने इन शुल्कों को उचित ठहराते हुए कहा कि अमेरिका को अन्य देशों के मुकाबले समान अवसर मिलना चाहिए।
भारत पर टैरिफ: प्रभाव और परिप्रेक्ष्य
राष्ट्रपति ट्रंप ने भारत को ‘महान मित्र’ बताते हुए कहा कि भारत अमेरिका से 52% शुल्क वसूलता है, जबकि अमेरिका भारत से बेहद कम शुल्क लेता है। ट्रंप ने इस असमानता को समाप्त करने के लिए भारत पर 26% पारस्परिक टैरिफ लगाया है। हालांकि, भारत के लिए यह राहत की बात है कि चीन, वियतनाम और बांग्लादेश जैसे देशों पर उससे अधिक शुल्क लगाया गया है। इससे भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धा में बढ़त मिल सकती है।
विशेष रूप से, भारत के गारमेंट उद्योग के लिए यह निर्णय लाभकारी साबित हो सकता है। बांग्लादेश पर अधिक शुल्क लगाए जाने से भारतीय वस्त्र उत्पादों की अमेरिकी बाजार में प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति मजबूत होगी। इसी तरह, इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योग में भी भारत को फायदा मिल सकता है क्योंकि चीन और वियतनाम पर अधिक शुल्क लगने से उनके उत्पाद अधिक महंगे हो जाएंगे।
वैश्विक व्यापार पर संभावित प्रभाव
ट्रंप द्वारा घोषित पारस्परिक टैरिफ नीति से अंतरराष्ट्रीय व्यापार संतुलन में महत्वपूर्ण बदलाव आ सकते हैं।
अमेरिकी बाजार में वस्तुओं की कीमतें बढ़ेंगी: विभिन्न देशों पर अधिक शुल्क लगने से अमेरिका में आयातित वस्तुएं महंगी हो सकती हैं, जिससे उपभोक्ताओं को अधिक कीमत चुकानी पड़ सकती है।
वैश्विक व्यापार युद्ध की आशंका: कई देश इस फैसले का विरोध कर सकते हैं और बदले में अमेरिकी उत्पादों पर भी टैरिफ बढ़ा सकते हैं, जिससे वैश्विक व्यापार युद्ध की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भारत के लिए अवसर और चुनौतियाँ: भारत को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त जरूर मिली है, लेकिन दीर्घकालिक रूप से इसे अपनी व्यापार नीति को और सशक्त बनाना होगा।
अमेरिकी नीति का औद्योगिक प्रभाव
अमेरिका ने सभी विदेशी निर्मित ऑटोमोबाइल पर 25% शुल्क लगाने की भी घोषणा की है। ट्रंप ने कहा कि इस तरह के असंतुलन ने अमेरिकी औद्योगिक आधार को कमजोर किया है और अब इसे सुधारने का समय आ गया है। उन्होंने इस असंतुलन के लिए पूर्व राष्ट्रपतियों और पिछले नेताओं को जिम्मेदार ठहराया, जिन्होंने अमेरिका के हितों की अनदेखी की।
भारत की रणनीति और आगे का रास्ता
अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ से भारत के निर्यात पर तत्काल नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा, क्योंकि उसके प्रतिस्पर्धी देशों पर अधिक शुल्क लगाया गया है। फिर भी, भारत को अपने व्यापारिक संबंधों को संतुलित बनाए रखने और संभावित प्रभावों का आकलन करते हुए उपयुक्त रणनीतियाँ अपनाने की आवश्यकता होगी।
भारत सरकार को अब इस नई व्यापार नीति के अनुरूप अपनी निर्यात रणनीति को सुदृढ़ करना होगा ताकि भारतीय उत्पादों की प्रतिस्पर्धात्मकता बनी रहे।
डोनाल्ड ट्रंप की पारस्परिक टैरिफ नीति वैश्विक व्यापार जगत में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकती है। यह नीति अमेरिका की घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने की मंशा को दर्शाती है, लेकिन इसके दूरगामी प्रभाव बहुआयामी होंगे। भारत के लिए यह नीति चुनौतियों और अवसरों का मिश्रण है, जिसे उचित रणनीति और कुशलता से उपयोग करने की आवश्यकता होगी।
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