लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष के आरोपों का करारा जवाब दिया और वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में व्याप्त अनियमितताओं का पर्दाफाश किया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि अब वक्फ संपत्तियों की चोरी और दुरुपयोग नहीं चलने दिया जाएगा। शाह ने दो टूक कहा कि यह देश की संसद द्वारा पारित कानून है, जिसका पालन सभी को करना होगा।
2013 का वक्फ कानून और उसका दुरुपयोग
अमित शाह ने कांग्रेस सरकार द्वारा 2013 में लाए गए वक्फ कानून को कठोर बताते हुए कहा कि इस कानून का व्यापक स्तर पर दुरुपयोग हुआ। उन्होंने आरोप लगाया कि तुष्टीकरण की राजनीति के चलते कांग्रेस ने वक्फ कानूनों में बदलाव किया, जिससे वक्फ संपत्तियों की अवैध हेराफेरी बढ़ गई। शाह ने राजद प्रमुख लालू यादव के पुराने बयान का हवाला देते हुए बताया कि उन्होंने भी 2013 में वक्फ संपत्तियों की लूट की ओर इशारा किया था। अब मोदी सरकार उसी समस्या को दूर करने के लिए ठोस कदम उठा रही है।
वक्फ संपत्तियों की लूट पर लगाम लगाने का संकल्प
शाह ने लोकसभा में खुलासा किया कि कई वक्फ संपत्तियों का मनमाने तरीके से व्यावसायिक इस्तेमाल हो रहा है। उदाहरण के तौर पर, एक वक्फ संपत्ति पर पांच सितारा होटल बना दिया गया, लेकिन उसका मासिक किराया महज 12,000 रुपये तय किया गया। उन्होंने कहा कि नया संशोधित वक्फ कानून इस तरह की गड़बड़ियों पर रोक लगाने का काम करेगा। उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि कांग्रेस ने वोट बैंक की राजनीति के लिए संशोधन किया था, लेकिन अब मोदी सरकार इस कानून को पारदर्शी और जवाबदेह बना रही है।
गैर-मुस्लिमों की भूमिका और पारदर्शिता
गृह मंत्री ने वक्फ परिषद और वक्फ बोर्डों में गैर-मुस्लिमों को शामिल करने के प्रावधान को स्पष्ट करते हुए कहा कि इन सदस्यों की भूमिका केवल संपत्ति प्रबंधन तक सीमित होगी। उनका किसी भी धार्मिक गतिविधि से कोई संबंध नहीं होगा। उन्होंने कहा कि यह फैसला सिर्फ प्रशासनिक व्यवस्था को अधिक पारदर्शी और जवाबदेह बनाने के लिए लिया गया है। साथ ही, चैरिटी कमिश्नर के गैर-मुस्लिम होने के आरोपों को उन्होंने हास्यास्पद करार दिया और स्पष्ट किया कि यह एक प्रशासनिक पद है, जो सभी धर्मों के ट्रस्टों की देखरेख करता है।
अनियंत्रित वक्फ घोषणाओं पर रोक
अमित शाह ने बताया कि 1913 से 2013 तक देश में 18 लाख एकड़ जमीन वक्फ के अंतर्गत थी, लेकिन 2013 के बाद यह बढ़कर 39 लाख एकड़ हो गई। उन्होंने आरोप लगाया कि कई मामलों में विदेश पढ़ाई या नौकरी करने गए लोगों की संपत्तियां वक्फ घोषित कर दी गईं। उन्होंने कहा कि अब वक्फ बोर्ड और वक्फ परिषद द्वारा मनमाने तरीके से किसी भी जमीन को वक्फ घोषित करने पर रोक लगा दी गई है। अब वक्फ के लिए जिला कलेक्टर का प्रमाणपत्र अनिवार्य कर दिया गया है। शाह ने जोर देते हुए कहा कि वक्फ एक दान की प्रक्रिया है, जिसे केवल अपनी संपत्ति पर लागू किया जा सकता है, न कि किसी अन्य की संपत्ति पर।
संविधान की मूल भावना के अनुरूप कानून
गृह मंत्री ने बताया कि कई राज्यों, जैसे कि कर्नाटक, केरल, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मंदिरों, गांवों और सरकारी संपत्तियों को वक्फ घोषित करने के मामले सामने आए हैं। उन्होंने इसे संविधान के मूल सिद्धांतों के खिलाफ बताया और कहा कि नए संशोधनों के तहत इस तरह के मनमाने आदेशों पर कानूनी अपील का प्रावधान सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह देश संविधान से चलता है, न कि किसी खास वर्ग के लिए बनाए गए नियमों से।
कड़े प्रावधान और जवाबदेही
शाह ने स्पष्ट किया कि मध्यकालीन शासकों द्वारा किए गए वक्फ दावों की पुष्टि के लिए पुख्ता प्रमाण उपलब्ध कराने होंगे। उन्होंने कहा कि अब वक्फ बोर्ड और परिषद को अपनी जवाबदेही तय करनी होगी और मनमाने ढंग से संपत्तियों का अधिग्रहण नहीं कर पाएंगे। उन्होंने भरोसा दिलाया कि यह विधेयक देश में संपत्ति के अधिकार को सुरक्षित रखने और न्यायसंगत प्रशासन सुनिश्चित करने के लिए लाया गया है।
अमित शाह के नेतृत्व में मोदी सरकार वक्फ संपत्तियों से जुड़े भ्रष्टाचार को खत्म करने और उनकी पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए कटिबद्ध है। नए संशोधन से न केवल जवाबदेही बढ़ेगी, बल्कि अवैध कब्जे और संपत्ति की हेराफेरी पर भी लगाम लगेगी। विपक्ष के तमाम विरोधों के बावजूद सरकार ने साफ कर दिया है कि देश के संसदीय कानूनों का पालन सभी को करना होगा और अब किसी भी तरह की अनियमितता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
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