वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर आज संसद में जोरदार हंगामा होने की संभावना जताई जा रही है। लोकसभा में इस विधेयक को पारित कराने के लिए आज पेश किया जाएगा, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच कड़ा टकराव देखने को मिल सकता है। विपक्ष इस विधेयक को असंवैधानिक बताकर इसकी कड़ी निंदा कर रहा है। वहीं, राज्यसभा में इस पर गुरुवार को चर्चा होने की उम्मीद है।
सरकार की रणनीति और एनडीए का समर्थन सत्तारूढ़ एनडीए गठबंधन में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के बाद चार प्रमुख घटक दल – तेलुगुदेशम पार्टी (टीडीपी), जनता दल-यूनाइटेड (जेडीयू), शिवसेना और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) – ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर सरकार के पक्ष में मतदान करने का निर्देश दिया है। हालांकि, सूत्रों का कहना है कि बीजेपी के कुछ सहयोगी दल विधेयक में संशोधन की मांग कर रहे हैं। एक वरिष्ठ सहयोगी दल के सदस्य ने उम्मीद जताई कि सरकार उनके विचारों को ध्यान में रखेगी।
केंद्रीय अल्पसंख्यक और संसदीय कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बताया कि लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अध्यक्षता में हुई कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में विधेयक पर आठ घंटे की चर्चा के लिए सहमति बनी, जिसे आवश्यकतानुसार बढ़ाया जा सकता है।
विपक्ष की आपत्ति और वॉकआउट बैठक के दौरान विपक्षी गठबंधन इंडिया के सदस्यों ने विरोध जताते हुए बैठक से वॉकआउट किया और सरकार पर उनकी आवाज दबाने का आरोप लगाया। विपक्षी दलों के नेता विधेयक पर चर्चा के लिए 12 घंटे का समय देने की मांग कर रहे थे। कांग्रेस के उप नेता गौरव गोगोई ने कहा कि सरकार विपक्ष की मांगों को नजरअंदाज कर रही है। उन्होंने यह भी मांग रखी कि मणिपुर की स्थिति और मतदाता पहचान पत्र से जुड़े विवाद जैसे मुद्दों पर भी सदन में चर्चा होनी चाहिए।
बीएसी बैठक में सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोकझोंक हुई, जिसके बाद विपक्षी दलों के नेता बैठक छोड़कर बाहर आ गए। हालांकि, रीजीजू ने स्पष्ट किया कि चर्चा की अवधि को सदन की भावना के अनुरूप बढ़ाया जा सकता है।
राज्यसभा में विधेयक पर गुरुवार को होगी चर्चा राज्यसभा की बीएसी बैठक में निर्णय लिया गया कि विधेयक पर गुरुवार को चर्चा होगी। उम्मीद की जा रही है कि तब तक लोकसभा से विधेयक पारित हो जाएगा। विधेयक के मुखर विरोधी असदुद्दीन ओवैसी ने इसे असंवैधानिक करार देते हुए कहा कि यह मुसलमानों के धार्मिक अधिकारों पर नियंत्रण के उद्देश्य से लाया गया है। उन्होंने टीडीपी और जेडीयू जैसे बीजेपी के सहयोगी दलों को चेताया कि जनता उन्हें इस विधेयक के समर्थन के लिए सबक सिखाएगी।
एनडीए की संख्याबल और समर्थन की स्थिति लोकसभा में कुल 542 सदस्य हैं, जिनमें एनडीए के 293 सांसद हैं। इसके अलावा, बीजेपी को समय-समय पर कुछ निर्दलीय सांसदों का भी समर्थन मिलता रहा है। हालांकि, टीडीपी, जेडीयू और चिराग पासवान नीत एलजेपी (रामविलास) जैसे प्रमुख सहयोगी दलों ने शुरू में विधेयक के कुछ प्रावधानों पर आपत्ति जताई थी। लेकिन संसद की संयुक्त समिति (जेपीसी) द्वारा उनकी कुछ सिफारिशें शामिल करने के बाद वे विधेयक का समर्थन कर सकते हैं।
कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया का समर्थन कैथोलिक बिशप्स कॉन्फ्रेंस ऑफ इंडिया और चर्च ऑफ भारत ने इस विधेयक का समर्थन किया है। इससे सरकार को विपक्ष के इस आरोप को खारिज करने में मदद मिलेगी कि यह विधेयक व्यापक रूप से अल्पसंख्यक विरोधी एजेंडे का हिस्सा है।
जेपीसी की सिफारिशों के आधार पर संशोधन पिछले साल इस विधेयक को पहली बार संसद में पेश किया गया था, जिसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को भेजने का प्रस्ताव रखा गया था। जेपीसी की रिपोर्ट पेश किए जाने के बाद, सरकार ने इसकी सिफारिशों के आधार पर मूल विधेयक में कुछ संशोधन किए। कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में विपक्ष ने चर्चा के लिए 12 घंटे की मांग की थी, जबकि सरकार चाहती थी कि चर्चा का समय कम रखा जाए ताकि अन्य विधायी कार्य भी पूरे किए जा सकें।
इंडिया गठबंधन की रणनीति इंडिया गठबंधन के दलों ने अपनी रणनीति पर भी चर्चा की। इस बैठक में कांग्रेस के राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे और केसी वेणुगोपाल, समाजवादी पार्टी के राम गोपाल यादव, एनसीपी (शरद पवार) की सुप्रिया सुले, तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी और आम आदमी पार्टी के संजय सिंह जैसे कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बैठक में डीएमके, आरजेडी, माकपा, एसपीआई और एमडीएमके के नेता भी उपस्थित थे।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर संसद में जबरदस्त राजनीतिक घमासान देखने को मिल सकता है। जहां सरकार इसे पारित कराने के लिए पूरी तरह तैयार है, वहीं विपक्ष इसे असंवैधानिक बताते हुए जबरदस्त विरोध कर रहा है। सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच इस विधेयक को लेकर तीखी बहस होने के आसार हैं। देखना यह होगा कि चर्चा के बाद विधेयक में और संशोधन किए जाते हैं या सरकार इसे अपने मौजूदा स्वरूप में ही पारित कराने में सफल होती है।
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