वक्फ संशोधन विधेयक: सुधार या हस्तक्षेप?

लोकसभा में 2 अप्रैल को दोपहर 12 बजे वक्फ संशोधन विधेयक पेश किया जाएगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने इस विधेयक पर 8 घंटे की चर्चा का समय निर्धारित किया है, जिसके बाद इसे पारित किए जाने की संभावना है। विपक्ष ने इस पर 12 घंटे की चर्चा की मांग की थी, लेकिन संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने भरोसा दिलाया कि यदि आवश्यक हुआ, तो चर्चा का समय बढ़ाया जा सकता है।
विधेयक पर समर्थन और विरोध की धाराएँ
इस विधेयक को लेकर राजनीतिक दलों में स्पष्ट विभाजन नजर आ रहा है। समाजवादी पार्टी (SP) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस विधेयक का विरोध करने का ऐलान किया है, जबकि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसे “समय की मांग” बताते हुए समर्थन दिया है।
लोकसभा में पहले भी इस मुद्दे पर काफी हंगामा हुआ था। प्रश्नकाल समाप्त होते ही विपक्षी दलों ने नारेबाजी शुरू कर दी, जिसके कारण सदन की कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक स्थगित करनी पड़ी।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का बयान
योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट शब्दों में कहा, “हर अच्छे काम का विरोध होता है। जो लोग वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध कर रहे हैं, उनसे मैं पूछना चाहता हूं कि वक्फ बोर्ड ने मुसलमानों के कल्याण के लिए क्या किया है? वक्फ बोर्ड को सरकारी संपत्तियों पर कब्जे का माध्यम नहीं बनने दिया जा सकता।”
विधेयक में प्रस्तावित प्रमुख बदलाव
विधेयक में लगभग 40 बड़े संशोधन प्रस्तावित हैं, जिनमें निम्नलिखित प्रमुख बिंदु शामिल हैं:
1. गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति: वक्फ बोर्ड में अब दो गैर-मुस्लिम सदस्य होंगे। साथ ही, बोर्ड के CEO भी गैर-मुस्लिम हो सकते हैं।
2. महिलाओं की भागीदारी: वक्फ परिषद में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए दो महिलाओं को शामिल करने का प्रस्ताव है। साथ ही, बोहरा और आगाखानी मुस्लिमों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने की योजना है।
3. सरकारी नियंत्रण: वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकारी नियंत्रण बढ़ाने के लिए सरकार गैर-मुस्लिम विशेषज्ञों को बोर्ड में शामिल कर सकती है और सरकारी एजेंसियों से वक्फ संपत्तियों का ऑडिट करा सकती है।
4. जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में पंजीकरण: नए कानून के तहत वक्फ बोर्ड की संपत्तियों को जिला मजिस्ट्रेट के कार्यालय में पंजीकृत कराना अनिवार्य होगा, जिससे संपत्तियों के मालिकाना हक की जांच की जा सकेगी।
5. विधिक सुधार: वक्फ ट्रिब्यूनल में अब दो सदस्य होंगे और इसके निर्णय को 90 दिनों के भीतर हाईकोर्ट में चुनौती दी जा सकेगी।
6. बोर्डन ऑफ प्रूफ: वर्तमान में यदि कोई संपत्ति वक्फ घोषित कर दी जाती है, तो उसका दावा करने वाले व्यक्ति को यह साबित करना होता है कि संपत्ति उसकी है। नए विधेयक में इस प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया जाएगा।
विपक्ष की आपत्तियाँ
विपक्ष का कहना है कि सरकार इस कानून के जरिए अल्पसंख्यक समुदाय के मामलों में गैर-मुस्लिमों का हस्तक्षेप बढ़ा रही है। समाजवादी पार्टी समेत अन्य विपक्षी दलों ने इस विधेयक के कई प्रावधानों पर असहमति जताई है। उनका मानना है कि वक्फ बोर्ड की संपत्तियों पर सरकारी हस्तक्षेप से धार्मिक स्वतंत्रता पर असर पड़ेगा।
क्या यह विधेयक सुधार लाएगा?
सरकार का दावा है कि यह विधेयक वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाएगा और अनियमितताओं को रोकेगा। वहीं, विपक्ष इसे अल्पसंख्यकों के अधिकारों में हस्तक्षेप के रूप में देख रहा है।
अब देखना होगा कि 2 अप्रैल को लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा कैसी होती है और क्या यह बहुमत से पारित हो पाता है या नहीं।
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