नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर बढ़ता असंतोष: हिंसा की चपेट में देश

नेपाल इस वक्त राजनीतिक उथल-पुथल और हिंसक प्रदर्शनों के दौर से गुजर रहा है। राजशाही की बहाली की मांग को लेकर हजारों प्रदर्शनकारी सड़कों पर उतर आए हैं, जिससे देश में तनाव बढ़ गया है। शुक्रवार को राजधानी काठमांडू में राजशाही समर्थकों और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक झड़पें हुईं, जिसमें एक पत्रकार समेत दो लोगों की मौत हो गई और 30 से अधिक लोग घायल हो गए। हालात को काबू में करने के लिए प्रशासन को कर्फ्यू लगाना पड़ा और सेना की तैनाती करनी पड़ी।

नेपाल में प्रदर्शन क्यों हो रहे हैं?

नेपाल में 2008 में राजशाही शासन समाप्त कर लोकतांत्रिक व्यवस्था लागू की गई थी। हालांकि, तब से अब तक 13 अलग-अलग सरकारें बन चुकी हैं, लेकिन राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार और आर्थिक संघर्ष ने जनता को निराश कर दिया है। लोगों का विश्वास मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था से उठने लगा है, और वे राजशाही की वापसी की मांग कर रहे हैं।

राजशाही समर्थक पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह को फिर से सत्ता में लाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि वर्तमान सरकार देश को स्थिरता देने में असफल रही है और भ्रष्टाचार ने आम नागरिकों की स्थिति को बदतर बना दिया है।

प्रदर्शनों की तेज होती लहर

नेपाल में राजशाही की बहाली को लेकर विरोध प्रदर्शन पिछले कुछ महीनों में तेज हुए हैं। पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने 19 फरवरी को लोकतंत्र दिवस पर अपने समर्थकों से उनके समर्थन में रैली निकालने का आग्रह किया था, जिसके बाद प्रदर्शन और तेज हो गए। 9 मार्च को आयोजित एक बड़ी रैली में हजारों लोगों ने हिस्सा लिया था। प्रदर्शनकारियों ने त्रिभुवन इंटरनेशनल एयरपोर्ट के गेट को अवरुद्ध कर दिया था, जिससे परिचालन प्रभावित हुआ था।

हिंसा और प्रशासन की सख्ती

शुक्रवार को काठमांडू में हुई झड़पों के बाद हालात बिगड़ने लगे। जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस बैरिकेड्स को तोड़ने का प्रयास किया, तो सुरक्षा बलों ने उन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। हिंसा के चलते प्रशासन को राजधानी के कई इलाकों जैसे तिनकुने, सिनामंगल और कोटेश्वर में कर्फ्यू लगाना पड़ा।

नेपाल सरकार ने इस स्थिति को लेकर इमरजेंसी कैबिनेट बैठक बुलाई। प्रधानमंत्री केपी ओली ने हिंसा के लिए प्रदर्शनकारियों को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि जो लोग कानून तोड़ेंगे, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नेपाल में बांग्लादेश जैसे हालात?

नेपाल में बढ़ते विरोध प्रदर्शनों की तुलना बांग्लादेश की हालिया स्थिति से की जा रही है। बांग्लादेश में भी सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान हिंसा भड़क उठी थी और कई लोगों की जान गई थी। नेपाल की स्थिति अभी उस स्तर तक नहीं पहुंची है, लेकिन अगर हिंसा और असंतोष बढ़ता रहा, तो देश में राजनीतिक संकट और गहरा सकता है।

आगे क्या होगा?

नेपाल में हालिया घटनाएं इस ओर इशारा कर रही हैं कि जनता में गहरी नाराजगी है। यदि सरकार जनता के असंतोष को दूर करने के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाती है, तो आने वाले दिनों में विरोध प्रदर्शन और तेज हो सकते हैं। वहीं, राजशाही समर्थक अपने अभियान को और आक्रामक बना सकते हैं। नेपाल के भविष्य की दिशा अब इस संघर्ष के नतीजों पर निर्भर करेगी।

Exit mobile version