म्यांमार और पड़ोसी देश थाईलैंड में हाल ही में आए 7.2 तीव्रता के विनाशकारी भूकंप ने भारी तबाही मचाई। इस आपदा के मद्देनजर भारत ने तत्परता दिखाते हुए 15 टन से अधिक राहत सामग्री म्यांमार को भेजी है। भारतीय वायुसेना (IAF) के C-130J विमान ने हिंडन एयरफोर्स स्टेशन से उड़ान भरकर यह सहायता सामग्री म्यांमार पहुंचाई।
भारत की त्वरित मानवीय सहायता
सूत्रों के अनुसार, इस राहत पैकेज में जीवनरक्षक सामान शामिल है, जिनमें टेंट, स्लीपिंग बैग, कंबल, खाने के लिए तैयार भोजन, वाटर प्यूरीफायर, हाइजीन किट, सोलर लैंप, जनरेटर सेट और आवश्यक दवाएं जैसे पैरासिटामोल, एंटीबायोटिक्स, सीरिंज, दस्ताने और पट्टियां शामिल हैं। भारत की यह मानवीय सहायता म्यांमार में भूकंप प्रभावित लोगों को राहत प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।
भूकंप के झटकों से मची तबाही
नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (एनसीएस) के अनुसार, शुक्रवार रात 11:56 बजे (स्थानीय समय) म्यांमार में 4.2 तीव्रता का एक और झटका दर्ज किया गया। यह भूकंप 10 किमी की गहराई पर आया, जिससे क्षेत्र को आफ्टरशॉक्स का खतरा बढ़ गया। इससे पहले शुक्रवार को सुबह 11:50 बजे 7.2 तीव्रता का शक्तिशाली भूकंप महसूस किया गया, जिसने बैंकॉक और थाईलैंड के अन्य हिस्सों में भी दहशत फैला दी।
बैंकॉक में भी महसूस किए गए झटके
प्रत्यक्षदर्शियों और स्थानीय मीडिया के अनुसार, बैंकॉक में भूकंप के झटकों के बाद लोग हिलती हुई इमारतों से बाहर निकल आए। सोशल मीडिया पर साझा की गईं वीडियो में स्विमिंग पूल का पानी बाहर छलकता नजर आया, जिससे भूकंप की तीव्रता का अंदाजा लगाया जा सकता है।
भूकंप से ढही 30 मंजिला इमारत, 43 मजदूर फंसे
थाईलैंड के चतुचक जिले में एक निर्माणाधीन 30 मंजिला गगनचुंबी इमारत झटकों की वजह से ढह गई, जिसमें 43 मजदूर फंस गए। थाईलैंड के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के अनुसार, राहत और बचाव कार्य तेजी से चलाया जा रहा है। इसके अलावा, म्यांमार के मंडालय क्षेत्र से गुजरने वाली इरावदी नदी पर बना एक सड़क पुल भी ध्वस्त हो गया, जिसकी भयावह तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं।
प्रधानमंत्री मोदी की प्रतिक्रिया
भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस भूकंप पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा, “म्यांमार और थाईलैंड में आए भूकंप से उपजी स्थिति से मैं चिंतित हूं। सभी प्रभावित लोगों की सुरक्षा और भलाई के लिए प्रार्थना करता हूं। भारत इस कठिन समय में दोनों देशों को हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।”
भारत की आपदा प्रबंधन में तत्परता
भारत ने हमेशा अपने पड़ोसी देशों को संकट के समय सहायता प्रदान की है। इससे पहले भी नेपाल में 2015 के भूकंप के दौरान भारत ने ऑपरेशन ‘मैत्री’ चलाकर व्यापक राहत अभियान चलाया था। म्यांमार के इस संकट के समय भारत का त्वरित प्रतिक्रिया देना उसकी ‘पड़ोसी प्रथम’ नीति का एक और उदाहरण है।
भारत द्वारा म्यांमार को दी गई यह सहायता ना सिर्फ मानवीय संवेदना का प्रतीक है, बल्कि यह दर्शाती है कि आपदा के समय भारत अपने पड़ोसियों के साथ खड़ा रहता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि प्रभावित क्षेत्रों में राहत और पुनर्निर्माण कार्य कितनी तेजी से आगे बढ़ते हैं।
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