बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस इन दिनों चीन की आधिकारिक यात्रा पर हैं। शुक्रवार को बीजिंग में उनकी मुलाकात चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से हुई। यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब बांग्लादेश आंतरिक अस्थिरता के दौर से गुजर रहा है, जिससे इस दौरे को विशेष महत्व मिल रहा है।
बाओ फोरम फॉर एशिया में भागीदारी
मोहम्मद यूनुस चार दिवसीय यात्रा के तहत बुधवार को चीन पहुंचे। उन्होंने चीन के हेन्नान प्रांत में आयोजित बाओ फोरम फॉर एशिया के वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लिया। यह मंच एशिया में आर्थिक सहयोग और विकास के मुद्दों पर चर्चा के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।
बीजिंग में गर्मजोशी से स्वागत
गुरुवार को बीजिंग पहुंचने पर चीन के उप-विदेश मंत्री सुन वीडोंग ने मोहम्मद यूनुस का औपचारिक स्वागत किया। इस यात्रा का उद्देश्य दोनों देशों के बीच आर्थिक और रणनीतिक सहयोग को और मजबूत बनाना है।
शी जिनपिंग से अहम बैठक
राष्ट्रपति शी जिनपिंग से मुलाकात में मोहम्मद यूनुस ने चीन से बांग्लादेश को दिए गए कर्ज पर ब्याज दर में कटौती की मांग की। वर्तमान में चीन बांग्लादेश को दिए गए कर्ज पर तीन प्रतिशत ब्याज लेता है, जिसे घटाकर 1-2 प्रतिशत करने का अनुरोध किया गया है।
गौरतलब है कि जापान, विश्व बैंक और एशियाई विकास बैंक के बाद चीन, बांग्लादेश को ऋण देने वाला चौथा सबसे बड़ा स्रोत है। वर्तमान में बांग्लादेश पर चीन का लगभग 7.5 अरब डॉलर का कर्ज है।
विकास परियोजनाओं में निवेश का आग्रह
मोहम्मद यूनुस ने चीन को बांग्लादेश में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश करने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने गारमेंट्स, इलेक्ट्रिक वाहन, हल्की मशीनरी, उच्च तकनीकी इलेक्ट्रॉनिक उत्पाद, चिप मैन्युफैक्चरिंग और सौर ऊर्जा उद्योग में सहयोग की मांग की।
रूस के उप-प्रधानमंत्री से मुलाकात
बाओ फोरम सम्मेलन के दौरान मोहम्मद यूनुस ने रूस के उप-प्रधानमंत्री एलेक्सी ओवरचुक से भी मुलाकात की। इस बैठक में रूस के नेता ने कहा कि उनका देश बांग्लादेश को अधिक अनाज और उर्वरकों का निर्यात करने के लिए तैयार है। साथ ही, दोनों देशों ने रूपपुर में बन रहे परमाणु ऊर्जा संयंत्र पर भी चर्चा की।
यात्रा के रणनीतिक मायने
बांग्लादेश के लिए यह दौरा बेहद अहम है। देश की आर्थिक स्थिति को देखते हुए चीन से ब्याज दरों में कटौती और निवेश बढ़ाने की मांग महत्वपूर्ण हो सकती है। साथ ही, रूस के साथ कृषि और ऊर्जा क्षेत्र में सहयोग से भी बांग्लादेश को लाभ मिलने की संभावना है।
यह दौरा यह भी संकेत देता है कि बांग्लादेश अपने अंतरराष्ट्रीय संबंधों को संतुलित करते हुए बहुपक्षीय सहयोग की रणनीति अपना रहा है। अब यह देखना होगा कि इन बैठकों के क्या ठोस परिणाम निकलते हैं और बांग्लादेश को इन समझौतों से कितना लाभ मिलता है।
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