दिल्ली हाईकोर्ट के न्यायाधीश जस्टिस यशवंत वर्मा के तबादले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने सख्त नाराजगी जाहिर की है। एसोसिएशन ने देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना को पत्र लिखकर अपनी आपत्ति दर्ज कराई है और कहा है कि वे किसी भी प्रकार के भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं करेंगे। एसोसिएशन ने यह भी कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट को “कूड़े का डब्बा” समझने की मानसिकता स्वीकार्य नहीं होगी।
15 करोड़ की नकदी बरामदगी और तबादला
दिल्ली उच्च न्यायालय के न्यायाधीश यशवंत वर्मा के आधिकारिक आवास से लगभग 15 करोड़ रुपये की नकदी बरामद होने की घटना सामने आई थी। इस खुलासे के बाद सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने तत्काल बैठक कर उन्हें दिल्ली हाईकोर्ट से इलाहाबाद हाईकोर्ट स्थानांतरित करने का फैसला किया। मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में पांच सदस्यीय कॉलेजियम ने निर्णय लिया कि जस्टिस वर्मा को दिल्ली से इलाहाबाद भेजा जाए।
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन की आपत्ति
इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन ने इस तबादले पर कड़ा ऐतराज जताया है। एसोसिएशन का कहना है कि किसी भी भ्रष्टाचार से जुड़े न्यायाधीश को उनके हाईकोर्ट में स्थानांतरित करना न्यायपालिका की गरिमा के खिलाफ है। एसोसिएशन का मानना है कि ऐसे कदम न्यायपालिका की निष्पक्षता और विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं।
जस्टिस वर्मा की अदालत में गैरहाजिरी
इस विवाद के बीच यह भी सामने आया कि जस्टिस यशवंत वर्मा ने दिल्ली हाईकोर्ट में अपनी अदालत में सुनवाई नहीं की। उनके कोर्ट मास्टर ने वकीलों को सूचित किया कि वे गैरहाजिर हैं। इस घटना के बाद हाईकोर्ट के एक वरिष्ठ वकील ने अदालत में अपनी चिंता व्यक्त की और कहा कि वकीलों का एक बड़ा वर्ग इस घटनाक्रम से हैरान है।
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की सख्त कार्रवाई की मांग
सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम के कुछ सदस्य जस्टिस वर्मा के तबादले के अलावा उनके खिलाफ और कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। कुछ सदस्यों का कहना है कि कॉलेजियम को जस्टिस वर्मा से इस्तीफा देने के लिए कहना चाहिए। यदि वे इस्तीफा देने से इनकार करते हैं, तो उनके खिलाफ आंतरिक जांच शुरू की जानी चाहिए।
न्यायपालिका की निष्पक्षता पर सवाल
यह मामला न्यायपालिका की निष्पक्षता और पारदर्शिता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करता है। इलाहाबाद हाईकोर्ट बार एसोसिएशन का आक्रोश यह दर्शाता है कि वकील समुदाय भ्रष्टाचार के किसी भी रूप को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है। इस मामले में आगे क्या कदम उठाए जाएंगे, यह देखना दिलचस्प होगा।
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