नेताओं पर ईडी की कार्रवाई: दस वर्षों में 193 मामले, सजा केवल दो को

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने अप्रैल 2015 से फरवरी 2025 के बीच वर्तमान और पूर्व सांसदों, विधायकों और राजनीतिक दलों से जुड़े नेताओं के खिलाफ कुल 193 मामले दर्ज किए हैं। हालांकि, इनमें से केवल दो मामलों में ही दोषियों को सजा हुई है। यह जानकारी वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बुधवार को राज्यसभा में दी।
सिर्फ दो नेताओं को मिली सजा
वित्त राज्य मंत्री के अनुसार, झारखंड के पूर्व मंत्री हरि नारायण राय और पूर्व मंत्री एनोस एक्का को सजा हुई है।
हरि नारायण राय को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सात वर्ष की कैद और 5 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई।
एनोस एक्का को सात वर्ष की कैद और 2 करोड़ रुपये के जुर्माने की सजा मिली।
हालांकि, इस दौरान किसी भी आरोपी को बरी नहीं किया गया है।
नेताओं पर ईडी की कार्रवाई में बढ़ोतरी
माकपा सांसद एए रहीम ने केंद्र सरकार से जानकारी मांगी थी कि पिछले दस वर्षों में नेताओं के खिलाफ कितने मामले दर्ज किए गए हैं। उन्होंने राज्यवार और पार्टीवार आंकड़ों की भी मांग की, लेकिन वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि इस तरह के आंकड़े नहीं रखे जाते। हालांकि, कुल मामलों के वर्षवार आंकड़े प्रस्तुत किए गए।
वर्षवार दर्ज मामले
वर्ष
दर्ज मामले
2015-16
10
2016-17
14
2017-18
7
2018-19
11
2019-20
26
2020-21
27
2021-22
26
2022-23
32
2018 के बाद से नेताओं पर ईडी द्वारा दर्ज किए गए मामलों की संख्या में तेजी देखी गई है। 2019-20 से लेकर 2022-23 तक लगातार मामलों की संख्या बढ़ी है।
ईडी की कार्रवाई पर राजनीतिक बहस
ईडी द्वारा नेताओं पर लगातार बढ़ रही कार्रवाई को लेकर राजनीतिक गलियारों में बहस छिड़ी हुई है। विपक्षी दलों का आरोप है कि जांच एजेंसी का इस्तेमाल राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। वहीं, सरकार का कहना है कि यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ उठाए जा रहे हैं और कानून के दायरे में रहते हुए कार्रवाई की जा रही है।
प्रवर्तन निदेशालय की कार्रवाई में पिछले कुछ वर्षों में तेजी आई है, लेकिन सजा मिलने की दर बेहद कम रही है। 193 मामलों में से केवल दो मामलों में सजा होना यह सवाल खड़ा करता है कि क्या जांच एजेंसियां अपने आरोपों को कानूनी रूप से साबित करने में सक्षम हो रही हैं या नहीं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या इन मामलों में और सख्ती आएगी या फिर यह केवल जांच और आरोपों तक ही सीमित रहेगा।
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