भारतीय चुनाव आयोग (ECI) के मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में चुनाव आयुक्त सुखबीर सिंह संधू और विवेक जोशी के साथ-साथ केंद्रीय गृह सचिव, विधायी विभाग के सचिव, इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय (MeitY) के सचिव, भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) के CEO और चुनाव आयोग के तकनीकी विशेषज्ञों ने भाग लिया। इस बैठक का मुख्य उद्देश्य वोटर आईडी (EPIC) को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया पर विचार-विमर्श करना था।
संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप निर्णय
चुनाव आयोग ने बैठक में स्पष्ट किया कि यह प्रक्रिया भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 और जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के प्रावधानों का सख्ती से पालन करेगी। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के अनुरूप आयोग ने यह भी स्पष्ट किया कि आधार केवल पहचान प्रमाण के रूप में काम करेगा, न कि नागरिकता प्रमाण के रूप में। इस महत्वपूर्ण विषय पर चुनाव आयोग और UIDAI के विशेषज्ञों के बीच तकनीकी परामर्श जल्द ही शुरू होगा।
चुनाव आयोग ने अपने बयान में कहा, “भारत के संविधान के अनुच्छेद 326 के अनुसार मतदान का अधिकार केवल भारत के नागरिकों को दिया जा सकता है। आधार कार्ड केवल व्यक्ति की पहचान स्थापित करता है, लेकिन नागरिकता प्रमाणित नहीं करता। इसलिए, यह निर्णय लिया गया है कि वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया संविधान और सुप्रीम कोर्ट के फैसले के अनुरूप होगी। यह प्रक्रिया जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 की धारा 23(4), 23(5) और 23(6) के प्रावधानों के तहत की जाएगी।”
चुनावी चुनौतियों के समाधान के लिए निर्णायक कदम
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार के नेतृत्व में चुनाव आयोग ने लंबे समय से लंबित चुनावी चुनौतियों के समाधान के लिए कई सक्रिय और निर्णायक उपाय शुरू किए हैं। चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, इन प्रयासों का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों से पहले चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता, समावेशन (इंक्लूसिविटी) और दक्षता (एफिशिएंसी) को बढ़ाना है।
राजनीतिक दलों के साथ सीधा संवाद
चुनाव आयोग ने घोषणा की है कि 31 मार्च 2025 से पहले निर्वाचन पंजीकरण अधिकारियों, जिला चुनाव अधिकारियों और मुख्य चुनाव अधिकारियों के स्तर पर सर्वदलीय बैठकें आयोजित की जाएंगी। इन बैठकों का मुख्य उद्देश्य राजनीतिक दलों के साथ सीधे संवाद को बढ़ावा देना और उनकी चिंताओं तथा सुझावों को ध्यान में रखना है। आयोग इस पहल के माध्यम से यह सुनिश्चित करना चाहता है कि चुनाव प्रबंधन के हर स्तर पर राजनीतिक दलों की भागीदारी हो और चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए उनके विचारों को शामिल किया जाए।
चुनावी प्रक्रिया में सुधार के लिए आयोग के प्रयास
मतदाता सूची को सटीक और अद्यतन करना: वोटर आईडी को आधार से जोड़ने से फर्जी मतदान की संभावना कम होगी और दोहरी मतदाता प्रविष्टियों को समाप्त किया जा सकेगा।
डिजिटल तकनीक का उपयोग: चुनावी प्रक्रिया को अधिक डिजिटल और पारदर्शी बनाने के लिए तकनीकी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है।
राजनीतिक दलों की भागीदारी: राजनीतिक दलों को सीधे चुनावी सुधारों में शामिल करने से चुनावी प्रक्रिया अधिक निष्पक्ष और विश्वसनीय होगी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन: सभी चुनावी सुधार संविधान और सुप्रीम कोर्ट के दिशा-निर्देशों के अनुरूप किए जाएंगे।
भारतीय चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए ये कदम देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को और अधिक पारदर्शी, समावेशी और कुशल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। वोटर आईडी को आधार से जोड़ने की प्रक्रिया को संविधान और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के अनुरूप लागू किया जाएगा, जिससे मतदाता सूची को अधिक सटीक और विश्वसनीय बनाया जा सकेगा। साथ ही, राजनीतिक दलों के साथ संवाद बढ़ाने और चुनावी चुनौतियों का समाधान करने के लिए चुनाव आयोग द्वारा उठाए गए कदम लोकतंत्र को और मजबूत करेंगे।
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