वाराणसी के मणिकर्णिका घाट पर रंगभरी एकादशी के ठीक बाद आयोजित होने वाली विश्व प्रसिद्ध मसाने की होली एक अद्भुत और अनूठा आयोजन है, जिसमें बाबा विश्वनाथ अपने गणों के साथ जलती चिताओं की भस्म से होली खेलते हैं। यह परंपरा हर वर्ष शिव भक्तों और श्रद्धालुओं के लिए अद्वितीय धार्मिक और आध्यात्मिक अनुभव लेकर आती है।
रंगभरी एकादशी के बाद मसाने की होली का शुभारंभ
रंगभरी एकादशी के अवसर पर बाबा विश्वनाथ अपनी अर्धांगिनी माता पार्वती का गौना कराकर अपने धाम लौटते हैं। इस पावन अवसर के बाद मणिकर्णिका घाट पर जलती चिताओं की भस्म से मसाने की होली खेलने की परंपरा है। बाबा के गण—नन्दी, श्रृंगी, भृंगी और भूत-प्रेत—इस अनोखी होली में सम्मिलित होते हैं। जैसे ही यह होली प्रारंभ होती है, पूरे घाट पर ‘हर-हर महादेव’ के जयघोष से वातावरण शिवमय हो उठता है।
नागा साधुओं की धुनी और भस्म स्नान
सबसे पहले धूनी रमाए नागा साधु घाट पर आते हैं। उनके शरीर पर राख डालकर श्रद्धालु हाथ जोड़कर प्रणाम करते हैं। इसके बाद चिता की भस्म को भक्तों पर फेंका जाता है, जिससे भक्तिमय ऊर्जा और शिव भक्ति की अनुभूति पूरे घाट पर फैल जाती है। इस दौरान घाट पर एक अनूठा और अलौकिक दृश्य देखने को मिलता है, जिसे शब्दों में व्यक्त करना कठिन है।
भक्तों का उत्साह और डीजे प्रतिबंध
इस बार प्रशासन द्वारा मसाने की होली में डीजे बजाने पर प्रतिबंध लगा दिया गया था। डीजे न बजने के कारण कई युवा भक्तों में मायूसी दिखी, लेकिन शिव भक्ति में डूबे श्रद्धालुओं की भीड़ ने पूरे जोश और श्रद्धा के साथ इस उत्सव को मनाया। हालांकि, पारंपरिक तरीके से मनाई गई इस होली ने भक्तों को अद्भुत आध्यात्मिक सुख प्रदान किया।
मणिकर्णिका घाट पर उमड़ी भारी भीड़
मणिकर्णिका घाट की ओर जाने वाले सभी रास्ते श्रद्धालुओं की भीड़ से पट गए। गंगा घाटों से नाव के माध्यम से भी भक्त बड़ी संख्या में मणिकर्णिका घाट पहुंचे। इस दौरान घाट पर भारी भीड़ उमड़ने से धक्कामुक्की की स्थिति भी बनी, जिसे नियंत्रित करने के लिए पुलिस बल तैनात किया गया था।
सुरक्षा व्यवस्था और पुलिस की मुस्तैदी
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन ने मणिकर्णिका घाट के सभी प्रवेश द्वारों पर पुलिस बल तैनात किया था। जैसे ही भीड़ अनियंत्रित हुई, पुलिस ने लाठियां फटकारकर भीड़ को नियंत्रित किया। सुरक्षाकर्मियों की सक्रियता के कारण कोई बड़ी दुर्घटना नहीं हुई और कार्यक्रम शांतिपूर्ण संपन्न हुआ।
अनोखी परंपरा, अनोखा उत्सव
मसाने की होली केवल एक उत्सव नहीं, बल्कि शिव की अनंत महिमा और उनके गणों की लीला का जीवंत प्रमाण है। यह पर्व मृत्यु और जीवन के बीच के सूक्ष्म संबंध को दर्शाता है, जो शिव के अद्वितीय स्वरूप को उजागर करता है। मणिकर्णिका घाट पर खेली जाने वाली यह होली भक्तों को जीवन के असली सत्य से अवगत कराती है और शिव की भक्ति में लीन होने का अवसर प्रदान करती है।
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