प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देवभूमि उत्तराखंड के गंगोत्रीधाम के शीतकालीन गद्दीस्थल मुखवा का दौरा किया। इस दौरान वे पारंपरिक परिधान ‘चपकन’ में नजर आए, जिसे गंगोत्री मंदिर समिति ने उन्हें भेंट किया था। यह परिधान मंदिर के तीर्थपुरोहितों द्वारा पूजा के समय पहना जाता है और इसे विशुद्ध व अत्यंत गर्म माना जाता है। गंगोत्री मंदिर समिति के सचिव सुरेश सेमवाल के अनुसार, चपकन एक प्रकार का कोट होता है, जो मुखवा गांव की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक भी है।
ग्रामीण संस्कृति और परंपरा का प्रदर्शन
प्रधानमंत्री के स्वागत के लिए मुखवा के ग्रामीणों ने पूरे उत्साह के साथ पारंपरिक रासौं नृत्य प्रस्तुत किया। ग्रामीण महिलाएं और पुरुषों द्वारा किए गए इस शानदार प्रदर्शन को देखकर प्रधानमंत्री मोदी अत्यंत प्रसन्न हुए।
इससे पहले, प्रधानमंत्री मोदी के लिए जाड़-किन्नौरी समुदाय द्वारा विशेष रूप से तैयार किए गए पट्टू के कोट-पजामा और पहाड़ी टोपी पहनाने की योजना बनाई गई थी। प्रधानमंत्री के लिए तैयार किए गए भेंडी अर्थात पट्टू से दो-दो कोट-पजामा और पहाड़ी टोपी बनाई गई। साथ ही, मंदिर समिति द्वारा भेंट किया गया चपकन भी भेंडी से तैयार किया गया था। यह दोनों ही परिधान भेंड की ऊन से निर्मित होते हैं और अत्यंत गर्म तथा आरामदायक होते हैं।
उत्तराखंड के शीतकालीन पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा उत्तराखंड की सांस्कृतिक धरोहर को सहेजने और शीतकालीन पर्यटन को बढ़ावा देने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा है। उनके मुखवा और हर्षिल दौरे से स्वाभाविक रूप से शीतकालीन यात्रा की ब्रांडिंग होगी और इन क्षेत्रों में अधिक पर्यटकों के आकर्षित होने की संभावना बढ़ेगी।
प्रधानमंत्री का उत्तराखंड से विशेष अनुराग
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उत्तराखंड से गहरा जुड़ाव रखते हैं और पिछले सवा तीन वर्षों में यह उनका 13वां दौरा था। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गंगोत्रीधाम में मां गंगा की विधिपूर्वक पूजा-अर्चना की और हर्षिल में एक विशाल जनसभा को भी संबोधित किया।
देहरादून से हर्षिल तक का सफर
प्रधानमंत्री मोदी गुरुवार को वायुसेना के विशेष विमान से देहरादून एयरपोर्ट पहुंचे, जहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, हरिद्वार सांसद त्रिवेंद्र सिंह रावत, राज्यसभा सांसद नरेश बंसल, पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत, पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक सहित कई गणमान्य नेता उनका स्वागत करने के लिए मौजूद रहे।
इसके पश्चात प्रधानमंत्री मोदी हर्षिल के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने स्थानीय जनता से संवाद किया और उत्तराखंड में पर्यटन, संस्कृति एवं धार्मिक महत्व को लेकर अपने विचार साझा किए।
संस्कृति और परंपरा को प्रोत्साहन
प्रधानमंत्री मोदी का मुखवा दौरा न केवल क्षेत्र की सांस्कृतिक धरोहर को सम्मान देने का प्रतीक है, बल्कि इससे शीतकालीन पर्यटन को भी एक नई दिशा मिलेगी। स्थानीय परंपराओं और परिधानों को अपनाकर प्रधानमंत्री ने यह संदेश दिया कि भारतीय संस्कृति को संजोने और प्रचारित करने की आवश्यकता है।
उनका यह दौरा उत्तराखंड के पर्यटन क्षेत्र को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में सहायक सिद्ध होगा।
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