तेलंगाना के नगरकुरनूल जिले में श्रीशैलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे के बाद 14 किलोमीटर अंदर फंसे आठ मजदूरों को सुरक्षित निकालने के प्रयास जारी हैं। 60 घंटे बीत जाने के बावजूद भारतीय सेना, राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) और अन्य एजेंसियां अभी तक सफलता हासिल नहीं कर सकी हैं।
बचाव अभियान में जुड़ी विशेषज्ञ टीम
वर्ष 2023 में उत्तराखंड के सिल्कयारा बेंड-बरकोट सुरंग में फंसे निर्माण श्रमिकों को बचाने वाले विशेष खनिकों (रैट माइनर्स) की टीम भी इस अभियान में शामिल हो गई है। इन विशेषज्ञों के आने से बचाव कार्य में तेजी आने की उम्मीद है। इनके अलावा एनडीआरएफ, सेना और अन्य एजेंसियां लगातार राहत कार्य में लगी हुई हैं।
उन्नत तकनीक का प्रयोग
सोमवार को बचाव अभियान में एंडोस्कोपिक और रोबोटिक कैमरों का भी सहारा लिया गया। इसके साथ ही एनडीआरएफ के डॉग स्क्वायड को भी तैनात किया गया है, जिससे फंसे हुए मजदूरों की सटीक स्थिति का पता लगाया जा सके।
परिवारों की चिंता और आशा
इस दुर्घटना में जीवित बचे कर्मचारी अपने सहकर्मियों की सुरक्षित वापसी की उम्मीद लगाए हुए हैं। तेलंगाना में फंसे झारखंड के गुमला जिले के चार श्रमिकों के परिवारों के एक-एक सदस्य को विमान से तेलंगाना भेजा गया है। यह व्यवस्था गुमला के उपायुक्त कर्ण सत्यार्थी के निर्देश पर की गई। कार्यदायी संस्था जयप्रकाश एसोसिएट्स एलटीएस ने मजदूरों के परिवारजनों को तेलंगाना बुलाया है ताकि वे बचाव कार्य की स्थिति से अवगत हो सकें।
सुरंग में फंसे मजदूरों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव
सुरंग में लंबे समय तक फंसे रहने से मजदूरों के मानसिक स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। पिछले साल नवंबर में उत्तराखंड की सिल्कयारा सुरंग में फंसे मजदूरों को मानसिक तनाव और नींद संबंधी समस्याएं हुई थीं। शोधकर्ताओं ने बचाए गए 33 श्रमिकों से बातचीत की थी, जिसमें एक तिहाई मजदूरों ने बताया था कि उन्हें समय का भ्रम हुआ और मानसिक अवसाद जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ा।
सरकार और एजेंसियों से अपील
फंसे हुए मजदूरों के परिवारों ने सरकार और एजेंसियों से जल्द से जल्द बचाव कार्य पूरा करने की अपील की है। राज्य सरकार ने भी इस घटना को गंभीरता से लिया है और बचाव कार्य में किसी भी तरह की ढिलाई न बरतने का निर्देश दिया है।
तेलंगाना सुरंग हादसे में फंसे मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने के लिए बचाव दल लगातार प्रयासरत हैं। रैट माइनर्स की टीम के शामिल होने से राहत कार्य में तेजी आने की संभावना है। सरकार, एजेंसियां और मजदूरों के परिजन सभी उनकी सकुशल वापसी की उम्मीद कर रहे हैं। अब देखना होगा कि यह कठिन बचाव अभियान कब तक सफल होता है और मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाला जा सकता है।
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