भारत के प्रमुख उद्योगपति और अडानी ग्रुप के चेयरमैन गौतम अडानी की नेटवर्थ में इस वर्ष भारी गिरावट आई है। 1 जनवरी 2025 से अब तक उनकी संपत्ति में 1.03 लाख करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई है। ब्लूमबर्ग बिलियनेयर्स इंडेक्स के अनुसार, अडानी की कुल संपत्ति 5.8 लाख करोड़ रुपये रह गई है और वे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्तियों की सूची में 23वें स्थान पर आ गए हैं।
एलन मस्क के बाद सबसे बड़ी गिरावट
टेस्ला और स्पेसएक्स के मालिक एलन मस्क की संपत्ति में भी इस वर्ष 3.05 लाख करोड़ रुपये की गिरावट आई है। हालांकि, उनकी कुल संपत्ति अब भी 34.4 लाख करोड़ रुपये है, जिससे वे दुनिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने हुए हैं। गौतम अडानी के लिए यह झटका उनके व्यापारिक साम्राज्य को प्रभावित करने वाला साबित हो सकता है।
विवाद और आरोपों का असर
पिछले वर्ष अमेरिका में गौतम अडानी सहित आठ लोगों पर अरबों रुपये की धोखाधड़ी का आरोप लगाया गया था। चार्जशीट के अनुसार, अडानी ग्रुप की कंपनियों ने भारत में गलत तरीके से अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं का अधिग्रहण किया था। इसके लिए सरकारी अधिकारियों को 250 मिलियन डॉलर (लगभग 2,029 करोड़ रुपये) की रिश्वत देने का भी आरोप लगाया गया था। साथ ही, आरोपियों पर अमेरिकी निवेशकों और बैंकों से झूठ बोलकर पैसे जुटाने के आरोप भी लगे थे।
यह मामला अडानी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड और एक अन्य फर्म से जुड़ा था और इसे 24 अक्टूबर 2024 को न्यूयॉर्क की फेडरल कोर्ट में दर्ज किया गया था। इस खबर के बाद अडानी की नेटवर्थ में 1.02 लाख करोड़ रुपये की गिरावट दर्ज की गई थी।
केन्या सरकार द्वारा डील रद्द
इस विवाद के कारण केन्या सरकार ने अडानी ग्रुप के साथ पावर ट्रांसमिशन और एयरपोर्ट विस्तार की डील को रद्द कर दिया था। इन दोनों डील्स का कुल मूल्य 21,422 करोड़ रुपये था। इस प्रकार, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अडानी ग्रुप की छवि को गंभीर नुकसान पहुंचा है।
हिंडनबर्ग रिपोर्ट का प्रभाव
जनवरी 2023 में, अडानी एंटरप्राइजेज ने 20,000 करोड़ रुपये का फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफर (FPO) लाने की घोषणा की थी, लेकिन उससे ठीक पहले 24 जनवरी 2023 को अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग ने एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें अडानी ग्रुप पर मनी लॉन्ड्रिंग और शेयर हेरफेर के आरोप लगाए गए थे।
25 जनवरी 2023 तक अडानी ग्रुप की कंपनियों के शेयरों की मार्केट वैल्यू में लगभग 12 बिलियन डॉलर (करीब 1 लाख करोड़ रुपये) की गिरावट आ गई थी। इस संकट के चलते अडानी ग्रुप को अपना 20,000 करोड़ रुपये का FPO भी रद्द करना पड़ा। इस मामले की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 6 सदस्यीय कमेटी गठित की, जबकि भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (SEBI) ने भी जांच शुरू की।
कोयला घोटाले का आरोप
फाइनेंशियल टाइम्स और संगठित अपराध एवं भ्रष्टाचार रिपोर्टिंग परियोजना (OCCRP) की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी ग्रुप ने जनवरी 2014 में इंडोनेशिया की एक कंपनी से 28 डॉलर प्रति टन की कीमत पर निम्न-श्रेणी का कोयला खरीदा था, जिसे तमिलनाडु जनरेशन एंड डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी (TANGEDCO) को उच्च-गुणवत्ता वाले कोयले के रूप में 91.91 डॉलर प्रति टन की दर पर बेचा गया।
अडानी ग्रुप की प्रतिक्रिया
गौतम अडानी और उनकी कंपनियों ने इन सभी आरोपों से इनकार किया है। अडानी ग्रुप ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को भी खारिज करते हुए इसे भारत के विकास को रोकने का एक षड्यंत्र बताया। कंपनी का कहना है कि वह सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन कर रही है और उसके खिलाफ लगाए गए आरोप आधारहीन हैं।
गौतम अडानी के लिए यह समय चुनौतियों से भरा हुआ है। उनकी संपत्ति में आई भारी गिरावट और कानूनी विवादों ने उनके व्यापारिक साम्राज्य को हिला कर रख दिया है। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि अडानी ग्रुप इन संकटों से कैसे उबरता है और अपने निवेशकों का विश्वास वापस जीतता है।
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