आज भारत में मराठा साम्राज्य के संस्थापक छत्रपति शिवाजी महाराज की 395वीं जयंती श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाई जा रही है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित देश के शीर्ष नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर अपने संदेश में कहा, “छत्रपति शिवाजी महाराज की वीरता और दूरदर्शी नेतृत्व ने स्वराज्य की नींव रखी। उनकी महानता और सिद्धांत पीढ़ियों को साहस और न्याय के मूल्यों को बनाए रखने के लिए प्रेरित करते रहेंगे। वे हमें एक मजबूत, आत्मनिर्भर और समृद्ध भारत के निर्माण के लिए प्रेरित करते हैं।”
राष्ट्र के शीर्ष नेताओं ने अर्पित की श्रद्धांजलि
प्रधानमंत्री मोदी के अलावा केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें राष्ट्र निर्माता बताया। उन्होंने अपने संदेश में लिखा, “हिंदवी स्वराज्य का उद्घोष करने वाले छत्रपति शिवाजी महाराज जी का जीवन नैतिकता, कर्तव्य और धर्मपरायणता का संगम था। कट्टरपंथी आक्रांताओं के खिलाफ जीवनभर संघर्ष कर उन्होंने सनातन स्वाभिमान की रक्षा की। उन्हें हमेशा राष्ट्र निर्माता के रूप में याद किया जाएगा।”
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी शिवाजी महाराज की जयंती पर नमन करते हुए कहा, “शिवाजी महाराज का अद्वितीय साहस, न्याय के प्रति प्रतिबद्धता और लोगों के कल्याण के प्रति अटूट समर्पण हमें प्रेरित करता रहेगा। उनकी विरासत आने वाली पीढ़ियों के लिए समृद्धि और शांति का मार्ग प्रशस्त करेगी।”
शिवनेरी किले में हुआ विशेष आयोजन
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने पुणे के शिवनेरी किले में छत्रपति शिवाजी महाराज को श्रद्धांजलि दी। इस दौरान उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने भी भाग लिया। जयंती के अवसर पर शिवनेरी किले में पारंपरिक ‘पालना समारोह’ सहित कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। महाराष्ट्र में यह दिन बड़े धूमधाम से मनाया जाता है, जहां राज्यभर में रैलियां, सांस्कृतिक कार्यक्रम और व्याख्यान आयोजित किए जाते हैं।
शिवाजी महाराज: सैन्य कौशल और राजनीतिक दूरदर्शिता के प्रतीक
छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में महाराष्ट्र के शिवनेरी किले में हुआ था। अपने सैन्य कौशल और राजनीतिक निपुणता के बल पर उन्होंने दक्षिण भारत में मुस्लिम सुल्तानों और उत्तर भारत में मुगलों को कड़ी चुनौती दी। उन्होंने न केवल एक शक्तिशाली मराठा साम्राज्य की नींव रखी, बल्कि स्वराज्य की अवधारणा को साकार किया। उनका साम्राज्य अंग्रेजों के आगमन से पहले भारत का सबसे शक्तिशाली साम्राज्य बन चुका था।
शिवाजी महाराज की प्रशासनिक क्षमता, धर्मनिरपेक्ष नीति और जनकल्याणकारी दृष्टिकोण उन्हें एक महान शासक के रूप में स्थापित करते हैं। वे न केवल एक कुशल योद्धा थे, बल्कि एक आदर्श प्रशासक और समाज सुधारक भी थे। उनकी गोरिल्ला युद्धनीति, रणनीतिक किलेबंदी और लोककल्याणकारी शासन प्रणाली आज भी प्रेरणा का स्रोत बनी हुई हैं।
शिवाजी महाराज की विरासत
आज भी शिवाजी महाराज की नीतियां और विचारधारा भारतीय राजनीति और सैन्य रणनीति में महत्वपूर्ण स्थान रखती हैं। उनकी जयंती पर देशभर में लाखों लोग उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित कर रहे हैं। उनकी बहादुरी, न्यायप्रियता और राष्ट्रनिर्माण के प्रति उनका समर्पण हमें सिखाता है कि सच्चे नेतृत्व का अर्थ केवल सत्ता प्राप्ति नहीं, बल्कि जनकल्याण और राष्ट्र सेवा होता है।
छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती हमें अपने गौरवशाली इतिहास की याद दिलाती है और हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपने कर्तव्यों का निर्वहन उसी निष्ठा और साहस के साथ करें, जैसे उन्होंने किया था।
Discussion about this post