देश के नए मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में ज्ञानेश कुमार की नियुक्ति की गई है। वह मौजूदा मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार का स्थान लेंगे, जो 18 फरवरी 2024 को सेवानिवृत्त हो रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय चयन समिति ने सोमवार शाम को उनके नाम की सिफारिश की, जिसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने मंजूरी दी।
महत्वपूर्ण चुनावों की जिम्मेदारी
ज्ञानेश कुमार को मुख्य चुनाव आयुक्त के रूप में कई अहम चुनावों की जिम्मेदारी निभानी होगी। 2024 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि 2026 में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और असम सहित कई राज्यों में विधानसभा चुनाव होंगे। इसके अतिरिक्त, 2027 में होने वाले राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति के चुनाव भी उनके कार्यकाल के अंतर्गत आएंगे।
उनका कार्यकाल 26 जनवरी 2029 तक रहेगा।
प्रशासनिक अनुभव और अहम भूमिकाएँ
ज्ञानेश कुमार 1988 बैच के केरल कैडर के आईएएस अधिकारी हैं। वह केंद्रीय गृह मंत्रालय का हिस्सा रह चुके हैं और उनके पास प्रशासनिक सेवा का गहरा अनुभव है। उन्होंने गृह मंत्रालय में विभिन्न पदों पर कार्य किया है:
मई 2016 से सितंबर 2018: संयुक्त सचिव के रूप में कार्य किया।
सितंबर 2018 से अप्रैल 2021: अतिरिक्त सचिव के रूप में सेवाएं दीं।
मई 2022 से: केंद्रीय गृह मंत्रालय में सचिव के रूप में कार्यरत रहे।
महत्वपूर्ण विधेयकों के निर्माण में योगदान
ज्ञानेश कुमार ने कई महत्वपूर्ण विधेयकों के मसौदे तैयार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है:
अनुच्छेद 370: 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाने वाले विधेयक का मसौदा तैयार करने में योगदान दिया।
तीन तलाक: तीन तलाक को खत्म करने से संबंधित विधेयक के मसौदे को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई।
राम मंदिर मामला: गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव रहते हुए अयोध्या में राम मंदिर से जुड़े मामले में सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों को संभालने की जिम्मेदारी निभाई।
शैक्षणिक पृष्ठभूमि
ज्ञानेश कुमार की शैक्षणिक योग्यता भी काफी प्रभावशाली है। उन्होंने:
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (IIT) कानपुर से सिविल इंजीनियरिंग में बी-टेक किया है।
इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट्स ऑफ इंडिया से बिजनेस फाइनेंस की पढ़ाई की है।
ज्ञानेश कुमार का प्रशासनिक अनुभव और उनकी कार्यशैली उन्हें मुख्य चुनाव आयुक्त की भूमिका के लिए एक उपयुक्त विकल्प बनाती है। आने वाले वर्षों में भारत के कई महत्वपूर्ण चुनाव उनके नेतृत्व में संपन्न होंगे। उनके अनुभव और कार्यशैली से निर्वाचन प्रक्रिया में पारदर्शिता और निष्पक्षता की उम्मीद की जा रही है।
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