असम की राजनीति में इन दिनों असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा और कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई के बीच तीखा वाकयुद्ध देखने को मिल रहा है। यह विवाद मुख्य रूप से गौरव गोगोई की पत्नी एलिजाबेथ गोगोई के कथित पाकिस्तानी संबंधों को लेकर खड़ा हुआ है। भाजपा नेताओं ने उन पर विदेशी नागरिकता रखने और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़े होने का आरोप लगाया है। वहीं, गौरव गोगोई ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताया और मुख्यमंत्री पर अपने ऊपर लगे आरोपों से ध्यान भटकाने का आरोप लगाया।
मुख्यमंत्री सरमा का बड़ा सवाल
मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने इस मामले पर मीडिया से बात करते हुए कई गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा, “हम किसी पर आरोप नहीं लगा रहे, लेकिन कुछ तथ्यों का सामने आना जरूरी है। क्या सांसद की पत्नी ने पाकिस्तान में काम किया है? क्या उनके पास भारतीय नागरिकता है? क्या गौरव गोगोई पाकिस्तान गए थे और वहां के राजदूत से मिले थे? अगर हां, तो क्या उन्होंने इसके लिए विदेश मंत्रालय से अनुमति ली थी?”
सबसे बड़ा सवाल जो सीएम सरमा ने उठाया वह यह था कि “आईएसआई और भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ एक साथ एक ही घर में कैसे रह सकती हैं? आईएसआई पाकिस्तान से जुड़ी है और रॉ भारत की सुरक्षा एजेंसी है। दोनों का एक ही छत के नीचे रहना असंभव है।”
गौरव गोगोई का पलटवार
सीएम सरमा के इन आरोपों पर गौरव गोगोई ने तीखा जवाब दिया और कहा कि मुख्यमंत्री भाजपा के नेतृत्व में अपनी पत्नी के खिलाफ दुष्प्रचार कर रहे हैं। उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “अगर मेरी पत्नी आईएसआई एजेंट हैं, तो फिर मैं रॉ का एजेंट हूं।”
गौरव गोगोई ने आगे आरोप लगाया कि सीएम सरमा अपने और अपनी पत्नी से जुड़े घोटालों को छिपाने के लिए इस मुद्दे को हवा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी पत्नी रिंकी भुइंया की मीडिया कंपनी को केंद्र सरकार की योजना के तहत 10 करोड़ रुपये की मदद दिलाई है। इस आरोप के बाद रिंकी भुइंया ने गौरव गोगोई पर मानहानि का मुकदमा भी दायर कर दिया।
राजनीतिक संग्राम और इसके प्रभाव
इस पूरे विवाद ने असम की राजनीति में हलचल मचा दी है। भाजपा ने जहां इसे राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला बताया है, वहीं कांग्रेस ने इसे राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि इस तरह के आरोपों से दोनों नेताओं की छवि पर असर पड़ सकता है और 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले यह मामला और गरमा सकता है।
अब देखना यह होगा कि इस विवाद में और क्या नए मोड़ आते हैं और क्या कोई पुख्ता सबूत सामने आते हैं या यह केवल एक राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तक ही सीमित रहेगा।
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