लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने युवाओं के भविष्य पर विशेष ध्यान देते हुए सरकार की नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि संप्रग और राजग दोनों ही सरकारें युवाओं की उम्मीदों पर खरी नहीं उतर सकी हैं और देश की आर्थिक और सामाजिक चुनौतियों का समाधान नहीं कर पाई हैं। राहुल गांधी ने एक आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के लिए युवाओं को मोबिलिटी क्रांति में अग्रणी भूमिका निभाने का आह्वान किया।
मोबिलिटी क्रांति: युवाओं के लिए अवसर राहुल गांधी ने लोकसभा में अपनी चर्चा के दौरान युवाओं के भविष्य पर गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि भारत को अब एक नई दिशा की जरूरत है और वह दिशा है मोबिलिटी क्रांति। राहुल ने इस क्रांति के चार प्रमुख स्तंभों का उल्लेख किया – इलेक्ट्रिक मोटर, बैटरी, आप्टिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस। उनका मानना था कि इन क्षेत्रों में ध्यान केंद्रित करने से भारत का भविष्य उज्जवल हो सकता है। राहुल गांधी ने यह भी कहा कि चीन की बढ़ती आक्रामकता के कारण यदि भारत इन क्षेत्रों में पिछड़ता है, तो यह देश की आर्थिक और सामरिक शक्ति पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है।
राहुल गांधी ने मेक इन इंडिया योजना की विफलता पर भी निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि मेक इन इंडिया का विचार अच्छा था, लेकिन इसे सही तरीके से लागू नहीं किया गया, जिसके कारण भारत केवल असेंबलिंग का काम कर रहा है, जबकि असल निर्माण चीन में हो रहा है।
लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल राहुल गांधी ने महाराष्ट्र में मतदाता सूची में भारी वृद्धि पर सवाल उठाए और चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर संदेह व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के बाद लगभग 70 लाख नए मतदाताओं का नाम जुड़ना चिंताजनक है, और इस पर चुनाव आयोग को आंकड़े सार्वजनिक करने चाहिए। उनका यह भी कहना था कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को पैनल से बाहर करने का निर्णय सरकार को स्पष्ट करना चाहिए, क्योंकि लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता लोकतंत्र की बुनियाद है।
युवाओं के भविष्य की योजनाओं का अभाव राहुल गांधी ने सरकार के अभिभाषण पर भी टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के अभिभाषण में युवाओं के भविष्य के लिए कोई स्पष्ट रोडमैप नहीं था। उनका यह भी मानना था कि अगर आईएनडीआईए गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति अभिभाषण होता तो वह युवाओं पर केंद्रित होता और मोबिलिटी क्रांति में उनकी भागीदारी को प्रोत्साहित करता।
राहुल गांधी ने बेरोजगारी की समस्या को लेकर भी गहरी चिंता जताई और कहा कि न तो संप्रग और न ही राजग सरकार ने इस समस्या का समाधान किया है। उन्होंने निर्माण क्षेत्र में गिरते जीडीपी योगदान का हवाला देते हुए कहा कि निर्माण क्षेत्र का जीडीपी में योगदान 15.3% से घटकर 12.6% हो गया है, जो पिछले 60 वर्षों में सबसे कम है।
चीन की आर्थिक आक्रामकता और भारत की स्थिति राहुल गांधी ने चीन की आर्थिक आक्रामकता का उल्लेख करते हुए कहा कि चीन ने बहुत जल्दी अपनी निर्माण और उत्पादन क्षमता को बढ़ाया है, जबकि भारत में केवल असेंबलिंग हो रही है। उन्होंने कहा कि चीन के बढ़ते प्रभाव के कारण भारत के सामने गंभीर आर्थिक चुनौतियाँ आ रही हैं, और इसकी एक बड़ी वजह है मेक इन इंडिया की विफलता।
राहुल ने यह भी कहा कि भारत और अमेरिका की साझेदारी दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है, और अमेरिका की औद्योगिक उत्पादन प्रणाली के लिए भारत की अहम भूमिका है। उनके मुताबिक, अमेरिका के बिना औद्योगिक उत्पादन संभव नहीं हो सकता, और इस साझेदारी से दोनों देशों को लाभ होगा।
जाति जनगणना और सामाजिक न्याय की पहल राहुल गांधी ने जाति जनगणना के प्रति कांग्रेस की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए तेलंगाना के आंकड़ों का हवाला दिया। उन्होंने कहा कि ओबीसी, दलित, आदिवासी और अल्पसंख्यक वहां की आबादी का लगभग 90 प्रतिशत हिस्सा हैं। राहुल का मानना था कि यह स्थिति पूरे देश में भी हो सकती है और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने चाहिए।
राहुल गांधी का यह भाषण देश की युवाओं की आकांक्षाओं, रोजगार, और लोकतांत्रिक संस्थाओं की स्वतंत्रता के मुद्दों को उठाते हुए एक सशक्त दृष्टिकोण पेश करता है। उन्होंने न केवल वर्तमान सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए, बल्कि एक बेहतर भविष्य के लिए एक नया दृष्टिकोण भी प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि भारत का भविष्य युवाओं द्वारा तय किया जाएगा, और उन्हें इस दिशा में सही नेतृत्व और अवसर प्रदान करना अत्यंत महत्वपूर्ण है।
Discussion about this post