कांगो के गोमा पर विद्रोहियों का कब्जा: हिंसा व संघर्ष

अफ्रीका महाद्वीप के मध्य में स्थित कांगो की राजधानी गोमा पर विद्रोही संगठन M23 ने कब्जा कर लिया है। इन विद्रोहियों ने शहर के एयरपोर्ट समेत कई महत्वपूर्ण ठिकानों को अपने नियंत्रण में ले लिया है। हालांकि, अब भी कुछ क्षेत्रों में सरकार समर्थित मिलिशिया और सेना के साथ विद्रोहियों की झड़पें जारी हैं। चारों ओर गोलीबारी हो रही है, जिससे शहर में दहशत का माहौल बना हुआ है।
रवांडा समर्थित विद्रोहियों का आतंक
M23 विद्रोही समूह को रवांडा का समर्थन प्राप्त है। इस हिंसक संघर्ष में अब तक 13 संयुक्त राष्ट्र शांतिरक्षकों की जान जा चुकी है। 20 लाख की जनसंख्या वाले गोमा शहर में चारों ओर लाशें बिखरी पड़ी हैं, और अस्पतालों में घायल लोगों की भरमार है। हालात इतने भयावह हो चुके हैं कि विद्रोहियों ने न केवल राजधानी पर हमला किया, बल्कि फ्रांस, रवांडा और अमेरिका के दूतावासों को भी निशाना बनाया।
खनिज संपदा पर कब्जे की लड़ाई
कांगो प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध देश है। यहां सोना, चांदी, हीरा, लिथियम, कोबाल्ट, गैस, तेल और कॉपर जैसे मूल्यवान खनिज प्रचुर मात्रा में पाए जाते हैं। यही कारण है कि विद्रोही गुट इस क्षेत्र पर पूरी तरह से अपना नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं। मंगलवार, 28 जनवरी की सुबह, शहर में कई जगहों पर भीषण आगजनी और विस्फोट हुए, जिससे हालात और बिगड़ गए। अब तक इस संघर्ष में 4 दक्षिण अफ्रीकी सैनिक मारे जा चुके हैं, जबकि कांगो के सैकड़ों सैनिकों ने आत्मसमर्पण कर दिया है।
भारतीय सेना की मौजूदगी और संकट में फंसे सैनिक
संयुक्त राष्ट्र के शांति मिशन के तहत कांगो में भारतीय सेना का एक अस्पताल भी संचालित हो रहा है। भारतीय सेना की आर्मी मेडिकल कोर (AMC) के लगभग 80 सदस्य वहां तैनात हैं, जो UN सैनिकों को चिकित्सा सेवाएं प्रदान कर रहे हैं। इसके अलावा, भारतीय सेना के 24 सैनिक भी गोमा स्थित लेवल-थ्री फील्ड अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। हालिया हिंसा के दौरान वहां भी फायरिंग की गई, जिससे भारतीय चिकित्सा दल खतरे में पड़ गया है। इस संकट को देखते हुए, गोमा में तैनात भारतीय डॉक्टरों ने भारत सरकार से सैनिकों और चिकित्सा कर्मियों को वहां से सुरक्षित वापस बुलाने की अपील की है।
M23: विद्रोहियों का खतरनाक इतिहास
M23 विद्रोही समूह कांगो में सक्रिय 100 से अधिक उग्रवादी संगठनों में से एक है। इस समूह का गठन कांगो की सेना से अलग हुए तुत्सी जाति के सैनिकों द्वारा किया गया था। M23 का दावा है कि वह कांगो में जातीय भेदभाव के खिलाफ लड़ रहा है, लेकिन उनके हमलों और हिंसा को देखकर यह स्पष्ट होता है कि उनका असली मकसद पूरे कांगो पर कब्जा करना है।
यह विद्रोही गुट पहले भी साल 2012 में गोमा पर अस्थायी रूप से कब्जा कर चुका था। हालांकि, अंतरराष्ट्रीय दबाव और संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के कारण उन्हें पीछे हटना पड़ा था। लेकिन अब, एक बार फिर M23 ने कांगो की राजधानी में खूनखराबा मचा दिया है।
वैश्विक प्रतिक्रिया और भविष्य की संभावनाएं
कांगो में जारी इस हिंसा और राजनीतिक अस्थिरता ने पूरे विश्व का ध्यान आकर्षित किया है। संयुक्त राष्ट्र, अफ्रीकी संघ और कई वैश्विक संगठन स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास कर रहे हैं।
हालांकि, यह स्पष्ट नहीं है कि कांगो की सरकार विद्रोहियों से अपनी राजधानी को पुनः मुक्त कराने में सफल हो पाएगी या नहीं। अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस स्थिति को लेकर चिंतित है, क्योंकि अगर समय रहते हिंसा को रोका नहीं गया तो यह संघर्ष पूरे क्षेत्र में फैल सकता है।
गोमा पर M23 विद्रोहियों का कब्जा कांगो के लिए एक बड़ी चुनौती बन गया है। प्राकृतिक संसाधनों से भरपूर इस देश में स्थायी शांति स्थापित करना आसान नहीं होगा। भारतीय सैनिकों की सुरक्षा भी एक अहम मुद्दा बन चुकी है, जिस पर भारत सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी होगी। आने वाले दिनों में यह देखना होगा कि कांगो की सरकार और अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस संकट को हल करने के लिए क्या कदम उठाते हैं।
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