भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो ने अपनी 100वीं रॉकेट लॉन्चिंग को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस उपलब्धि को हासिल करने वाला नवीनतम मिशन GSLV-F15 रॉकेट के माध्यम से नेविगेशन सैटेलाइट (NVS-02) का सफल प्रक्षेपण रहा। यह उपग्रह नाविक (NavIC) प्रणाली के अंतर्गत दूसरी पीढ़ी का महत्वपूर्ण उपग्रह है। इससे पहले 29 मई 2023 को NVS-01 को GSLV-F12 के माध्यम से लॉन्च किया गया था।
NVS-02 उपग्रह: भारत के लिए नई नेविगेशन शक्ति
GSLV-F15 रॉकेट से लॉन्च किया गया NVS-02 उपग्रह भारत की स्वदेशी नेविगेशन प्रणाली को और मजबूत करेगा। यह परिवहन, रक्षा, आपातकालीन सेवाओं और मोबाइल आधारित लोकेशन सेवाओं में बड़ी भूमिका निभाएगा।
मुख्य विशेषताएँ:
सटीक ट्रैकिंग और मार्गदर्शन: यह हवाई और समुद्री यातायात को सटीक ट्रैक करने में मदद करेगा।
रक्षा क्षमताओं में वृद्धि: सुरक्षित और स्थानीय नेविगेशन सेवाओं से सैन्य अभियानों को मजबूती मिलेगी।
व्यापक क्षेत्र कवरेज: भारतीय उपमहाद्वीप के साथ-साथ भारत से 1,500 किलोमीटर आगे के क्षेत्रों में भी उपयोगकर्ताओं को सटीक स्थिति, गति और समय की जानकारी प्रदान करेगा।
वजन और तकनीकी उन्नति: UR सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिजाइन किए गए इस उपग्रह का वजन लगभग 2,250 किलोग्राम है और इसमें C-बैंड, L1, L5 और S-बैंड में नेविगेशन पेलोड शामिल हैं।
नाविक प्रणाली: स्वदेशी नेविगेशन का भविष्य
भारत की नाविक प्रणाली, जिसे भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम (IRNSS) के रूप में भी जाना जाता है, का उद्देश्य स्वदेशी GPS प्रणाली विकसित करना है। इसमें कुल दूसरी पीढ़ी के पांच उपग्रह शामिल हैं, जिनमें से NVS-02 दूसरा उपग्रह है। यह प्रणाली विशेष रूप से परिवहन, रसद, कृषि और आपातकालीन सेवाओं में सहायता करेगी।
इसरो प्रमुख ने मंदिर में की पूजा
GSLV-F15/NVS-02 की लॉन्चिंग से पहले इसरो के अध्यक्ष डॉ. वी. नारायणन ने वैज्ञानिकों की टीम के साथ तिरुमाला के भगवान वेंकटेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना की। उन्होंने रॉकेट का मॉडल भगवान के चरणों में रखा और इस मिशन की सफलता के लिए प्रार्थना की। डॉ. नारायणन ने इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का आभार व्यक्त किया, जिन्होंने इसरो में तीसरे लॉन्च पैड के लिए 400 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं। यह निर्णय भारी रॉकेट्स की लॉन्चिंग में भारत की क्षमता को और बढ़ाएगा।
इसरो द्वारा GSLV-F15 के जरिए NVS-02 का सफल प्रक्षेपण भारत की अंतरिक्ष विज्ञान और तकनीक में बढ़ती सक्षमता का प्रतीक है। यह मिशन भारत को सटीक और सुरक्षित नेविगेशन सिस्टम प्रदान करेगा, जिससे विभिन्न क्षेत्रों में क्रांतिकारी बदलाव आएंगे। इस सफलता से भारत न केवल अंतरिक्ष तकनीक में आत्मनिर्भर बन रहा है, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी अपनी साख बढ़ा रहा है।
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