प्रयागराज में महाकुंभ का सबसे प्रमुख और पवित्र स्नान पर्व मौनी अमावस्या का आयोजन बुधवार को संगम तट पर होगा। इस अवसर पर अमृत स्नान की इच्छा लेकर लगभग 10 करोड़ श्रद्धालुओं के पहुंचने का अनुमान है। इस विशाल आयोजन के लिए प्रशासन ने व्यापक इंतजाम किए हैं ताकि श्रद्धालुओं को किसी भी प्रकार की असुविधा न हो।
स्नान घाटों पर व्यापक इंतजाम
महाकुंभ क्षेत्र में लगभग 12 किमी के दायरे में 44 स्नान घाट तैयार किए गए हैं। इनमें आम श्रद्धालुओं और अखाड़ों के संत-महात्माओं के लिए अलग-अलग स्नान घाट बनाए गए हैं।
संगम घाट: दिल्ली, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा और पंजाब के श्रद्धालुओं के लिए।
ऐरावत संगम घाट: पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, उड़ीसा, बंगाल, छत्तीसगढ़, झारखंड और पूर्वोत्तर राज्यों के श्रद्धालुओं के लिए।
अरैल घाट: मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और दक्षिण भारत के श्रद्धालुओं के लिए।
संगम तट पर अखाड़ों के लिए विशेष स्नान घाट बनाए गए हैं, जहां केवल संत-महात्मा और उनके शिष्य स्नान कर सकेंगे।
प्रशासनिक तैयारी और व्यवस्था
महाकुंभ के इस भव्य आयोजन को सफल बनाने के लिए प्रशासन ने बड़ी संख्या में अधिकारियों की तैनाती की है।
हर घाट पर एसडीएम, सीओ, तहसीलदार और नायब तहसीलदार की जिम्मेदारी तय की गई है।
आइएएस, एडीएम और एसडीएम रैंक के पीसीएस अधिकारियों को प्रमुख घाटों पर निगरानी के लिए लगाया गया है।
प्रयागराज और आसपास के 10 जिलों के डीएम और एसपी भी व्यवस्थाओं को संभालने में जुटे हुए हैं।
सुरक्षा और यातायात प्रबंधन के लिए विशेष पुलिस बल तैनात किया गया है।
भीड़ प्रबंधन और श्रद्धालुओं की सुविधा
दो दिन पहले से ही मेला क्षेत्र में भारी भीड़ उमड़ने लगी है।
महाकुंभ क्षेत्र के संतों, कल्पवासियों और संस्थाओं के शिविर पूरी तरह भर चुके हैं।
सभी रैन बसेरों, होटल, सरकारी और निजी टेंट सिटी में जगह नहीं बची है।
प्रशासन ने श्रद्धालुओं की सुरक्षित आवाजाही के लिए विशेष इंतजाम किए हैं।
ट्रेनों और बसों से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष रूट तैयार किए गए हैं ताकि स्नान के बाद श्रद्धालुओं की वापसी में कोई देरी न हो।
प्रशासन का मुख्य जोर श्रद्धालुओं को स्नान कराकर शीघ्र और सुरक्षित वापसी पर है।
डीएम का स्थानीय निवासियों से आह्वान
प्रयागराज के जिलाधिकारी रविंद्र कुमार मांदड़ ने शहरवासियों से इस अमृत स्नान पर्व पर सहयोग की अपील की है।
उन्होंने शहर के लोगों से चार पहिया वाहनों का प्रयोग न करने और प्रशासन का साथ देने का अनुरोध किया है ताकि यातायात बाधित न हो।
उन्होंने अपने एक्स (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट पर पोस्ट कर लोगों से जाम की समस्या न पैदा करने की अपील की।
मौनी अमावस्या का महत्त्व और स्नान का समय
मौनी अमावस्या पर स्नान का विशेष महत्त्व है। यह दिन मौन धारण करने और आत्मचिंतन करने का प्रतीक माना जाता है।
स्नान का शुभारंभ मंगलवार रात 8 बजे से होगा।
अखाड़ों का महास्नान बुधवार सुबह से शुरू होगा।
संगम पर आस्था का महासागर
मौनी अमावस्या पर संगम की पावन धरा पर करोड़ों श्रद्धालुओं का आना, उनकी आस्था और विश्वास को दर्शाता है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत का भी प्रतीक है।
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