भारत और चीन ने 2020 से रुकी हुई पवित्र कैलाश-मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला किया है। यह महत्वपूर्ण निर्णय भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री की दो दिवसीय बीजिंग यात्रा के दौरान लिया गया। यह यात्रा, जो तिब्बत में कैलाश पर्वत और मानसरोवर झील के दर्शन के लिए होती है, भारत-चीन संबंधों को सुधारने और तनाव को कम करने की दिशा में एक अहम कदम मानी जा रही है।
महत्वपूर्ण पृष्ठभूमि कैलाश-मानसरोवर यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह हिंदू, बौद्ध, जैन और बोन धर्म के अनुयायियों के लिए एक पवित्र तीर्थस्थल है। लेकिन, कोविड-19 महामारी के दौरान इस यात्रा को रोक दिया गया था। इसके बाद, भारत और चीन के बीच गलवान घाटी संघर्ष और अन्य सीमावर्ती तनावों के कारण यात्रा को बहाल करने पर कोई सहमति नहीं बन सकी।
हाल ही में, विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीनी विदेश मंत्री वांग यी के बीच हुई बैठक में इस यात्रा को फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया। यह फैसला वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर स्थिति को सामान्य बनाने के प्रयासों के बीच आया है।
कैलाश-मानसरोवर की धार्मिक और सांस्कृतिक महत्ता कैलाश पर्वत को भगवान शिव का निवास स्थान माना जाता है, और मानसरोवर झील को मोक्ष प्राप्ति का मार्ग। यह यात्रा हर साल हजारों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है। इसके अलावा, यह भारत-चीन के बीच सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक भी है।
यह यात्रा भारतीय और चीनी नागरिकों के बीच लोग-से-लोग संपर्क को बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम रही है। ऐसे में इसका फिर से शुरू होना केवल धार्मिक कारणों से ही नहीं, बल्कि दोनों देशों के बीच कूटनीतिक संबंधों को सुधारने के लिए भी अहम है।
भारत-चीन संबंधों में एक नया अध्याय विदेश मंत्रालय ने बताया कि कैलाश-मानसरोवर यात्रा के अलावा, भारत और चीन ने कई अन्य मुद्दों पर भी सहमति बनाई है: सीधी उड़ानें फिर शुरू करना: दोनों पक्षों ने भारत-चीन के बीच सीधी उड़ानों को फिर से बहाल करने पर सैद्धांतिक सहमति जताई। हाइड्रोलॉजिकल डेटा साझा करना: सीमा पार बहने वाली नदियों से संबंधित डेटा साझा करने और सहयोग बढ़ाने पर सहमति बनी। लोग-से-लोग संपर्क को बढ़ावा: मीडिया, थिंक टैंक्स और सांस्कृतिक आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करने के लिए ठोस कदम उठाने पर चर्चा हुई। आर्थिक और व्यापार सहयोग: दोनों देशों ने व्यापार और आर्थिक नीतियों में पारदर्शिता और पूर्वानुमान को बढ़ावा देने की बात कही।
सीमावर्ती तनाव और मौजूदा स्थिति भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव को कम करने के लिए हाल ही में कुछ प्रगति हुई है। डेमचोक और देपसांग क्षेत्रों में विघटन प्रक्रिया पूरी होने के बाद, दोनों देशों की सेनाओं ने चार साल बाद गश्त गतिविधियां फिर से शुरू की हैं। हालांकि, भारत ने स्पष्ट किया है कि जब तक सीमा क्षेत्रों में शांति और स्थिरता नहीं होगी, तब तक चीन के साथ संबंध सामान्य नहीं हो सकते।
आगे की राह कैलाश-मानसरोवर यात्रा की बहाली भारत और चीन के बीच आपसी विश्वास और सहयोग का संकेत है। यह कदम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि दोनों देशों के बीच राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक संबंधों को सुधारने में भी मदद करेगा।
हालांकि, सीमा विवाद और गलवान संघर्ष जैसे मुद्दों को हल किए बिना, दोनों देशों के बीच संबंधों में पूरी तरह से सुधार करना मुश्किल है।
कैलाश-मानसरोवर यात्रा की बहाली भारत और चीन के बीच एक सकारात्मक पहल है। यह दोनों देशों के बीच कूटनीतिक प्रयासों और संवाद को बढ़ावा देने का संकेत देती है। लेकिन, इस कदम की सफलता इस बात पर निर्भर करेगी कि सीमा पर तनाव को कितनी प्रभावी तरीके से सुलझाया जाता है और दोनों देश एक-दूसरे की चिंताओं को कैसे संबोधित करते हैं।
Discussion about this post