26/11 मुंबई आतंकी हमले की साजिश रचने वाले पाकिस्तानी-कनाडाई नागरिक तहव्वुर हुसैन राणा को भारत लाने का रास्ता अब साफ हो गया है। अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने शनिवार को राणा के प्रत्यर्पण पर अंतिम मुहर लगा दी। राणा ने भारत प्रत्यर्पण से बचने के लिए अमेरिका की संघीय अदालतों से लेकर अपीलीय कोर्ट तक कई कानूनी लड़ाइयाँ लड़ीं, लेकिन अंततः सभी प्रयास विफल हो गए।
कौन है तहव्वुर राणा? तहव्वुर राणा (63 वर्ष) पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है, जिसने कभी पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर के रूप में सेवाएं दी थीं। 90 के दशक में वह कनाडा चला गया और वहां की नागरिकता ले ली। बाद में राणा ने अमेरिका में शिकागो में एक इमिग्रेशन कंसल्टेंसी फर्म की स्थापना की।
मुंबई हमले का मास्टरमाइंड डेविड हेडली, राणा का करीबी दोस्त था। जांच में खुलासा हुआ कि राणा ने हेडली को आतंकवाद की ओर धकेला। हेडली ने 2008 में हुए 26/11 हमलों से पहले मुंबई में रेकी की थी। अमेरिका की जांच एजेंसियों ने 2009 में राणा को गिरफ्तार किया था।
मुंबई हमले में राणा की भूमिका 26 नवंबर 2008 को पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने मुंबई पर हमला किया था। इस हमले में 166 लोगों की जान गई और सैकड़ों घायल हुए। हेडली ने हमलों से पहले मुंबई के होटल ताजमहल, ओबेरॉय ट्राइडेंट और नरीमन हाउस जैसे स्थलों की रेकी कर महत्वपूर्ण जानकारियां लश्कर-ए-तैयबा को पहुंचाई थीं। तहव्वुर राणा ने हेडली को इस अपराध में मदद दी।
हेडली की गिरफ्तारी के बाद उसने तहव्वुर राणा की भूमिका उजागर की। राणा को अमेरिका की अदालत में दोषी ठहराया गया और जेल भेजा गया।
भारत में प्रत्यर्पण क्यों महत्वपूर्ण? भारत ने लंबे समय से राणा के प्रत्यर्पण की मांग की है ताकि उसे 26/11 हमले में उसकी भूमिका के लिए यहां न्याय के कटघरे में लाया जा सके। अमेरिकी अदालतों में राणा ने भारत प्रत्यर्पण का विरोध करते हुए दलील दी थी कि उसे भारत में निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। लेकिन अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने इन दलीलों को खारिज कर दिया।
अमेरिका की जेल में राणा तहव्वुर राणा फिलहाल लॉस एंजेलिस की जेल में बंद है। उसके प्रत्यर्पण के बाद भारत में उसे मुंबई हमले से संबंधित मामलों में जवाबदेह बनाया जाएगा। इस प्रत्यर्पण से 26/11 हमले के पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलने की उम्मीद है।
राणा का प्रत्यर्पण: भारत की बड़ी सफलता राणा का भारत प्रत्यर्पण भारत के न्यायिक और कूटनीतिक प्रयासों की बड़ी जीत है। यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि मुंबई हमले में शामिल सभी दोषियों को सजा दी जाए और आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक एकजुटता मजबूत हो।
26/11 हमले के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाना भारत की प्राथमिकता रही है। तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह न केवल आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को मजबूती देगा, बल्कि दुनिया को यह संदेश भी देगा कि ऐसे अपराधों में शामिल लोग कहीं भी छिप नहीं सकते।
Discussion about this post