उत्तराखंड की बेटी शीतल राज ने एक बार फिर इतिहास रचते हुए विश्व की छठी सबसे ऊंची चोटी माउंट चो ओयू (8188 मीटर) पर तिरंगा फहराया है। 8 अक्टूबर को इस चोटी पर फतह हासिल करने वाली शीतल, ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला बन गई हैं। शीतल ने न केवल उत्तराखंड बल्कि पूरे देश का नाम रोशन किया है।
चुनौतीपूर्ण अभियान की कहानी शीतल ने 5 सितंबर को इस अभियान की शुरुआत की। नेपाल के काठमांडू पहुंचने के बाद चीन का वीजा प्राप्त करने में उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा। भारत और चीन के संबंधों के कारण 20 दिनों की लंबी प्रक्रिया के बाद उन्हें वीजा मिला। 21 सितंबर को उन्होंने सड़क मार्ग से चीन बॉर्डर पर पहुंचकर आगे का सफर शुरू किया। हालांकि, अन्य पर्वतारोहियों ने वीजा प्रक्रिया में देरी के कारण पहले ही चढ़ाई शुरू कर दी थी। लेकिन शीतल ने हिम्मत नहीं हारी और अकेले अभियान पूरा करने का निश्चय किया। अंततः 8 अक्टूबर को सुबह 8 बजे (चाइनीज समयानुसार), उन्होंने माउंट चो ओयू पर तिरंगा लहराया।
पर्वतारोहण में उल्लेखनीय उपलब्धियां शीतल ने माउंट एवरेस्ट, माउंट कंचनजंघा, माउंट अन्नपूर्णा जैसी विश्व प्रसिद्ध चोटियों पर भी सफलतापूर्वक आरोहण किया है।
उनकी पर्वतारोहण उपलब्धियां: माउंट एवरेस्ट (2019) माउंट अन्नपूर्णा (2021) माउंट कंचनजंघा (2018) माउंट एल्ब्रुश (2021) और अब माउंट चो ओयू (2024)
सम्मान और पुरस्कार शीतल को उनके साहस और उपलब्धियों के लिए कई पुरस्कारों से नवाजा गया है, जिनमें शामिल हैं: तेनजिंग नार्गे राष्ट्रीय साहस पुरस्कार (2021) तीलू रौतेली पुरस्कार (2019) गोल्डन बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड (2018) ब्रांड आइकन ऑफ कुमाऊ (2019)
हंस फाउंडेशन का सहयोग पर्वतारोहण जैसे महंगे क्षेत्र में शीतल को हंस फाउंडेशन का निरंतर सहयोग प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि फाउंडेशन की मदद से ही उन्होंने अपने सपनों को साकार किया।
शीतल राज ने अपने साहस, धैर्य और दृढ़ निश्चय से देश को गर्वित किया है। उनका यह कीर्तिमान न केवल महिलाओं के लिए बल्कि हर युवा के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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