दिल्ली दंगों के आरोपी और आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुस्तफाबाद से एआईएमआईएम उम्मीदवार ताहिर हुसैन की जमानत याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सुनवाई स्थगित कर दी। जस्टिस पंकज मिथल और जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने समय की कमी का हवाला देते हुए सुनवाई मंगलवार तक के लिए टाल दी।
दिल्ली पुलिस और बचाव पक्ष के वकीलों की दलीलें सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली पुलिस के वकील ने ताहिर हुसैन की जमानत याचिका का विरोध किया और विस्तृत बहस की मांग की। कोर्ट ने ताहिर हुसैन के वकील को याचिका की प्रति दिल्ली पुलिस को उपलब्ध कराने का निर्देश दिया।
ताहिर हुसैन के वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कोर्ट को बताया कि ताहिर को 16 मार्च 2020 को गिरफ्तार किया गया था और वह अब तक 4 साल 10 महीने से जेल में हैं। उन्होंने कहा कि ताहिर की उम्र 47 साल है और वह अपनी अंतरिम जमानत की मांग कर रहे हैं।
जस्टिस मिथल और अमानुल्लाह की टिप्पणियां सुनवाई के दौरान जस्टिस पंकज मिथल ने कहा कि ताहिर हुसैन के खिलाफ कुल 11 मामले हैं, जिनमें से 9 में उन्हें जमानत मिल चुकी है। वहीं, पीएमएलए (मनी लॉन्ड्रिंग) मामले में अभी तक जमानत नहीं मिली है। उन्होंने यह भी कहा कि अंतरिम जमानत के बजाय नियमित जमानत का आवेदन क्यों नहीं किया गया।
जस्टिस अमानुल्लाह ने ताहिर हुसैन के वकील से पूछा कि ट्रायल की वर्तमान स्थिति क्या है। इसके जवाब में अग्रवाल ने बताया कि मामले में 115 गवाहों का हवाला दिया गया है, जिनमें से 22 की जांच हो चुकी है। अब तक किसी गवाह ने यह नहीं कहा कि ताहिर ने सहयोग नहीं किया। उन्होंने यह भी बताया कि मुख्य हमलावरों को नियमित जमानत मिल चुकी है।
आरोप और बचाव पक्ष का पक्ष ताहिर हुसैन पर आरोप है कि 25 फरवरी 2020 की दिल्ली दंगों की घटना के दौरान उन्होंने भीड़ को उकसाया। चार आरोपियों पर आरोप है कि उन्होंने चाकू से हत्या की और शव को ठिकाने लगाया। बचाव पक्ष के अनुसार, आरोप पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि ताहिर ने दंगों के दौरान हिंदुओं पर हमला करने के लिए भीड़ को भड़काया।
ताहिर हुसैन के वकील ने कोर्ट से कहा कि उनके मुवक्किल को केवल 15 दिनों की अंतरिम जमानत दी जाए ताकि वह चुनाव में भाग ले सकें।
जमानत पर सुप्रीम कोर्ट का विचार सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जमानत याचिका में चुनाव को प्राथमिकता देना उचित नहीं है। जस्टिस मिथल ने टिप्पणी की, “ऐसा प्रतीत होता है कि जीवन में चुनाव ही सबसे महत्वपूर्ण कार्य है।” कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को करने का निर्णय लिया।
ताहिर हुसैन का पक्ष ताहिर हुसैन के वकील का तर्क है कि इतने लंबे समय तक जेल में रहने के बावजूद उनके खिलाफ कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया गया है। उनका कहना है कि इस मामले में ताहिर को अंतरिम राहत दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट अब मंगलवार को ताहिर हुसैन की याचिका पर अंतिम निर्णय लेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कोर्ट चुनाव के मद्देनजर अंतरिम जमानत प्रदान करती है या नहीं। मामले की ट्रायल और ताहिर की भूमिका पर भी अदालत की टिप्पणी अहम होगी।
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