फिनटेक सेक्टर की अग्रणी कंपनी पेटीएम (Paytm) ने वित्त वर्ष 2025 की दिसंबर तिमाही (Q3FY25) के नतीजे जारी किए। इन नतीजों में कंपनी के शुद्ध घाटे में कमी और रेवेन्यू में सुधार देखने को मिला। कंपनी का शुद्ध घाटा घटकर 208 करोड़ रुपये पर आ गया है, जबकि पिछले साल इसी तिमाही में यह 220 करोड़ रुपये था। हालांकि, सितंबर तिमाही में दर्ज किए गए 930 करोड़ रुपये के शुद्ध मुनाफे के मुकाबले यह गिरावट दर्शाता है।
राजस्व में सुधार
दिसंबर तिमाही में पेटीएम का रेवेन्यू 36 फीसदी घटकर 1,828 करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो पिछले साल इसी तिमाही में 2,850 करोड़ रुपये था। हालांकि, तिमाही आधार पर 10 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई। पेटीएम ने रेवेन्यू में इस वृद्धि का श्रेय GMV (ग्रॉस मर्चेंडाइज वैल्यू) में बढ़ोतरी, सब्सक्रिप्शन रेवेन्यू में वृद्धि और फाइनेंशियल सर्विसेज के डिस्ट्रीब्यूशन से होने वाली आय को दिया।
बिजनेस सेगमेंट का प्रदर्शन
पेमेंट बिजनेस: पेटीएम के कुल रेवेन्यू का बड़ा हिस्सा, यानी 1,003 करोड़ रुपये, पेमेंट बिजनेस से आया। इसमें तिमाही आधार पर 6 फीसदी की बढ़ोतरी हुई।
फाइनेंशियल सर्विसेज: इस सेगमेंट ने 502 करोड़ रुपये का योगदान दिया, जिसमें तिमाही आधार पर 34 फीसदी की वृद्धि हुई।
मार्केटिंग सेवाएं: इस क्षेत्र से 267 करोड़ रुपये की आय हुई।
खर्चों में कटौती
पेटीएम ने बताया कि दिसंबर तिमाही के दौरान उसके कुल खर्च में 31 फीसदी की कमी आई। पिछले साल की तुलना में यह 2,219 करोड़ रुपये रहा। खर्चों में इस कमी का सकारात्मक असर कंपनी के वित्तीय प्रदर्शन पर पड़ा है।
रणनीतिक कदम और कैश बैलेंस
दिसंबर तिमाही के दौरान, पेटीएम ने जापान के पेपे कॉरपोरेशन में अपनी हिस्सेदारी 28 करोड़ डॉलर (2,372 करोड़ रुपये) में बेची। इस बिक्री के चलते कंपनी का कैश बैलेंस बढ़कर 12,850 करोड़ रुपये हो गया, जो सितंबर तिमाही के अंत में 9,999 करोड़ रुपये था।
पेटीएम का वर्तमान परिदृश्य
पेटीएम की पेरेंट कंपनी वन97 कम्युनिकेशंस ने अगस्त 2009 में पेटीएम पेमेंट ऐप लॉन्च किया था। कंपनी के फाउंडर विजय शेखर शर्मा ने इसे भारत में डिजिटल पेमेंट्स के क्षेत्र में अग्रणी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज पेटीएम के पास 30 करोड़ से अधिक यूजर्स हैं और इसका मार्केट कैप लगभग 28,000 करोड़ रुपये है।
पेटीएम के दिसंबर तिमाही के नतीजे दिखाते हैं कि कंपनी अपनी वित्तीय स्थिति को मजबूत करने और रेवेन्यू बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास कर रही है। घाटे में कमी, खर्चों में कटौती और कैश बैलेंस में वृद्धि इसके सकारात्मक पहलू हैं। हालांकि, सालाना आधार पर रेवेन्यू में कमी कंपनी के लिए चुनौतीपूर्ण है। आने वाले समय में कंपनी की रणनीतियां और बाजार की स्थिति इसके प्रदर्शन को और प्रभावित करेंगी।