नेपाल की फोटो जर्नलिस्ट और पर्वतारोही पूर्णिमा श्रेष्ठ ने एक नया इतिहास रचते हुए माउंट एवरेस्ट की चोटी पर तीन बार चढ़ने का अद्वितीय रिकॉर्ड कायम किया है। शनिवार, 25 मई को उन्होंने एक ही सीजन में तीन बार एवरेस्ट फतह करने वाली पहली महिला बनने का गौरव प्राप्त किया। यह उपलब्धि पर्वतारोहण की दुनिया में एक नई मिसाल कायम करती है और साबित करती है कि महिलाएँ किसी भी चुनौती का सामना करने में सक्षम हैं, चाहे वह प्रकृति के सबसे कठिन शिखर पर चढ़ाई हो या जीवन की अन्य कठिनाइयाँ।
तीन बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई का अद्वितीय रिकॉर्ड
पूर्णिमा ने 12 मई को अपनी पहली चढ़ाई की शुरुआत की, फिर 19 मई को दूसरी बार चढ़ाई की और अंत में 25 मई को तीसरी बार शिखर पर पहुँचकर यह ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाया। इस उपलब्धि के साथ ही उन्होंने पर्वतारोहण के इतिहास में अपनी जगह मजबूत कर ली है, क्योंकि इससे पहले किसी भी पर्वतारोही ने एक ही सीजन में माउंट एवरेस्ट पर तीन बार चढ़ाई नहीं की थी।
माउंट एवरेस्ट की चढ़ाई एक अत्यंत कठिन और चुनौतीपूर्ण कार्य है। पूरी दुनिया में इसे चढ़ने के लिए कई प्रशिक्षित पर्वतारोही आते हैं, लेकिन यह कुछ ही लोगों के लिए संभव हो पाता है। ऐसे में पूर्णिमा की यह सफलता उनके साहस, समर्पण और उच्च पर्वतारोहण कौशल को दर्शाती है।
पर्वतारोहण में विशेषज्ञता और जुनून
पूर्णिमा का पर्वतारोहण के प्रति जुनून और उनकी विशेषज्ञता वर्षों से प्रमाणित रही है। उन्होंने इससे पहले माउंट एवरेस्ट, कंचनजंगा, ल्होत्से, धौलागिरि, माउंट के2, अन्नपूर्णा और मनास्लु जैसे विश्व प्रसिद्ध और चुनौतीपूर्ण शिखरों को भी फतह किया है। इन सभी अभियानों ने उनकी पर्वतारोहण क्षमताओं को साबित किया और यह दिखाया कि वह किसी भी कठिनाई का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।
लकपा शेरपा, जिन्होंने अभियान का समन्वय किया, ने कहा, “पूर्णिमा ने इस साल आठ हजार मीटर से ऊपर की चोटियों पर चढ़ाई की और तीन बार माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली पहली महिला बनकर इतिहास रच दिया है। उनकी यह सफलता पर्वतारोहण के क्षेत्र में एक नया कीर्तिमान है।”
पूर्णिमा का सफर
पूर्णिमा का पर्वतारोहण का सफर 2018 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ाई करने से शुरू हुआ था। इसके बाद उन्होंने कई अन्य उच्च पर्वतों पर भी चढ़ाई की। उनका जन्म नेपाल के गोरखा जिले में हुआ था, जहां से वह पर्वतारोहण की दिशा में अपनी यात्रा शुरू करने के लिए प्रेरित हुईं। उनकी सफलता केवल एक व्यक्तिगत जीत नहीं है, बल्कि यह लाखों अन्य महिलाओं के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन चुकी है।
उनकी यात्रा यह सिद्ध करती है कि अगर किसी व्यक्ति में सही जुनून और मेहनत हो, तो वह किसी भी असंभव लगने वाली चुनौती को पार कर सकता है। पर्वतारोहण में उनकी सफलता ने महिलाओं को यह संदेश दिया है कि शारीरिक सीमाएँ केवल मानसिक सोच पर निर्भर होती हैं। जब मन में ठान लिया जाए, तो कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है।
प्रेरणा देने वाली कहानी
पूर्णिमा की कहानी न केवल पर्वतारोहण के क्षेत्र में महिलाओं की उपस्थिति को बढ़ावा देती है, बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक प्रेरणा है। यह बताती है कि नारी के लिए आसमान भी कोई सीमा नहीं है। उन्होंने अपने कठिन परिश्रम, आत्मविश्वास और साहस से यह साबित कर दिया है कि महिलाएँ किसी भी क्षेत्र में पुरुषों के बराबर या उनसे अधिक सफलता हासिल कर सकती हैं।
उनकी सफलता इस बात का भी उदाहरण है कि महिलाओं के लिए पर्वतारोहण जैसे कठिन खेलों में अपनी पहचान बनाना कोई असंभव कार्य नहीं है। उनका यह रिकॉर्ड भविष्य में कई और महिलाओं को प्रेरित करेगा और उन्हें अपने सपनों को पूरा करने के लिए उकसाएगा।
पूर्णिमा श्रेष्ठ की यह उपलब्धि सिर्फ एक पर्वतारोही के रूप में उनकी महानता को नहीं दर्शाती, बल्कि यह यह भी साबित करती है कि महिलाएं किसी भी क्षेत्र में अपनी सीमाएँ तोड़ सकती हैं। उनकी कड़ी मेहनत और संकल्प ने न केवल पर्वतारोहण की दुनिया में एक नया कीर्तिमान स्थापित किया है, बल्कि यह महिलाओं को यह सिखाने का संदेश भी है कि अगर वे खुद पर विश्वास करें, तो कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं है।
पूर्णिमा का यह इतिहास में दर्ज किया गया कार्य पूरी दुनिया में महिलाओं के लिए एक प्रेरणा बनकर रहेगा।
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