बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने हाल ही में एक दिलचस्प और चौंकाने वाला खुलासा किया है कि सत्ता से बेदखल होते ही उनके और उनकी बहन शेख रेहाना की हत्या की साजिश रची गई थी। यह बड़ा बयान शेख हसीना ने अपने फेसबुक पेज पर साझा किए गए ऑडियो संदेश में दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि वे और उनकी बहन केवल 20-25 मिनट के अंतराल से मौत से बच सकीं।
राजनीतिक संकट और संघर्ष की शुरुआत
बांग्लादेश में 2024 में राजनीतिक संकट के बाद शेख हसीना को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा और उन्हें भारत भागना पड़ा था। यह संकट उस समय आया जब बांग्लादेश में प्रदर्शनकारी छात्र आरक्षण प्रणाली को समाप्त करने की मांग कर रहे थे। इस विवादित आरक्षण प्रणाली के तहत स्वतंत्रता संग्रामियों के परिवारों को 30 प्रतिशत सरकारी नौकरियों में आरक्षण दिया गया था। इसके खिलाफ छात्रों ने विरोध प्रदर्शन शुरू किया था, जो जल्द ही देशभर में हिंसक हो गया।
हिंसा और अस्थिरता के बीच शेख हसीना की सुरक्षा खतरे में
हसीना के इस्तीफा देने और देश छोड़ने के बाद बांग्लादेश में हालात और बिगड़ गए। हिंसा का सिलसिला जारी रहा, जिसमें 600 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई थी। इसके साथ ही शेख हसीना के जीवन को भी कई बार खतरा पैदा हुआ। उन्होंने बताया कि सत्ता से बेदखल होने के बाद उनकी हत्या की कई साजिशें रची गई थीं, जिनमें से कुछ बेहद खतरनाक साबित हुईं।
चौंकाने वाले खुलासे: हत्याओं से बचने का जिक्र
शेख हसीना ने अपने ऑडियो संदेश में कहा, “मुझे लगता है कि 21 अगस्त 2004 को हुई हत्याओं से बचना, कोटालीपारा में हुए बम विस्फोट से बचना या पांच अगस्त 2024 को जीवित बचना अल्लाह की इच्छा है। अगर अल्लाह की इच्छा न होती, तो मैं अब तक जिंदा नहीं बची होती।” उनका कहना था कि इन हमलों के बावजूद वे जिंदा हैं क्योंकि यह अल्लाह की इच्छा थी और उनका जीवन किसी खास उद्देश्य के लिए था।
आत्मविश्वास और संघर्ष की भावना
उन्होंने भावुक होते हुए कहा, “हालांकि मैं पीड़ित हूं, मैं अपने देश के बिना हूं, मेरे घर के बिना हूं, सब कुछ जलाया गया है, लेकिन मैं अब भी जीवित हूं क्योंकि अल्लाह चाहता है कि मैं कुछ और करूं।” उनका यह बयान न केवल उनके आत्मविश्वास को दर्शाता है, बल्कि बांग्लादेश में लोकतंत्र के लिए उनके संघर्ष और समर्पण की भी गवाही देता है।
शेख हसीना पर कई बार हुईं हमले की साजिशें
शेख हसीना की सुरक्षा हमेशा कड़ी रही, क्योंकि वे कई बार हत्या की साजिशों से बच निकली थीं। 2004 में ढाका में हुए ग्रेनेड हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने बताया कि इस हमले में 24 लोग मारे गए थे और 500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे। खुद शेख हसीना को भी इस हमले में चोटें आई थीं, लेकिन वे किसी तरह बच गईं। इसके अलावा, 2000 में कोटालीपारा में एक और बम विस्फोट की साजिश रची गई थी, जो उन्हें मारने के लिए किया गया था।
शेख हसीना का जीवन एक संघर्ष और साहस की कहानी है। सत्ता से बेदखल होने के बाद भी उन्होंने अपने देश और जनता के लिए लगातार काम किया और कई बार जान के खतरे को भी नजरअंदाज किया। उनका यह खुलासा केवल उनके साहस को ही नहीं, बल्कि बांग्लादेश की राजनीतिक अस्थिरता और हिंसा को भी उजागर करता है। शेख हसीना के संघर्ष और समर्पण ने उन्हें न केवल बांग्लादेश बल्कि पूरी दुनिया में एक महत्वपूर्ण नेता बना दिया है, जिनका जीवन हम सभी के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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