दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक अभूतपूर्व घटना सामने आई है। राजधानी सियोल में पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल की गिरफ्तारी के दौरान सुरक्षा गार्डों और कानून एजेंसियों के बीच तनावपूर्ण गतिरोध ने देशभर में चर्चा का विषय बना दिया है। यह घटना तब हुई, जब योल को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस और हाई रैंकिंग भ्रष्टाचार जांच अधिकारियों की एक संयुक्त टीम उनके हन्नाम डोंग स्थित आवास पर पहुंची।
गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि: मार्शल लॉ की घोषणा यून सुक योल ने कुछ हफ्ते पहले देश में मार्शल लॉ लागू करने की घोषणा की थी, जिससे पूरे दक्षिण कोरिया में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। लोगों ने इसे लोकतंत्र पर हमला करार दिया और बड़े पैमाने पर सड़कों पर उतरकर सरकार के खिलाफ नाराजगी जाहिर की। मार्शल लॉ की घोषणा के बाद विपक्षी पार्टियों ने संसद में इस कदम के खिलाफ वोटिंग की। आलोचना और जनता के भारी दबाव के बीच योल ने सार्वजनिक तौर पर माफी मांगी थी, लेकिन यह विवाद थम नहीं सका।
आवास पर छिपे थे योल मार्शल लॉ के दौरान हुए घटनाक्रम और इसके असर को लेकर यून सुक योल पर विद्रोह के प्रयास का आरोप लगाया गया। इस मामले की जांच के लिए अदालत ने उनके खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया। योल पिछले कई हफ्तों से अपने हन्नाम डोंग स्थित आवास पर छिपे हुए थे। उनकी सुरक्षा में तैनात प्रेसिडेंशियल सिक्योरिटी सर्विस ने पूरे परिसर को कंटीले तारों और बसों से घेरकर रास्तों को बंद कर दिया था। उनका दावा था कि पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा सुनिश्चित करना उनका दायित्व है।
गिरफ्तारी के लिए पुलिस की रणनीति पूर्व राष्ट्रपति को हिरासत में लेने के लिए हजार से अधिक जांचकर्ताओं और पुलिस अधिकारियों को तैनात किया गया। गिरफ्तारी अभियान के दौरान सुरक्षा एजेंसियों और पुलिस के बीच कई बार तीखी झड़पें हुईं। ब्लैक जैकेट पहने पुलिसकर्मी आवास के बाहर पहरा दे रहे थे और आवास में दाखिल होने के लिए रास्ता तलाश रहे थे। अंततः, कुछ पुलिस अधिकारियों ने बसों पर सीढ़ियां लगाकर सुरक्षा घेरा पार किया और आवास के अंदर दाखिल होने में सफलता पाई।
सुरक्षा एजेंसी और जांच टीम में टकराव प्रेसिडेंशियल सिक्योरिटी सर्विस का कहना है कि कोर्ट द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट अवैध है, और वे पूर्व राष्ट्रपति की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध हैं। दूसरी ओर, जांच एजेंसी का तर्क है कि मार्शल लॉ की घोषणा के बाद देश के संवैधानिक ढांचे को नुकसान पहुंचाने के लिए योल को जवाबदेह ठहराना जरूरी है। कार्यवाहक प्रधानमंत्री चोई सांग-मोक ने दोनों पक्षों से शारीरिक झड़प से बचने की अपील की।
देशभर में गूंज यह गिरफ्तारी न केवल दक्षिण कोरिया बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी चर्चा का विषय बन गई है। जनता और विशेषज्ञ इस घटनाक्रम को दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र के लिए एक परीक्षा मान रहे हैं। योल के वकील का दावा है कि अदालत द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट कानूनी रूप से वैध नहीं है और वे इसे अदालत में चुनौती देंगे।
पूर्व राष्ट्रपति यून सुक योल की गिरफ्तारी ने दक्षिण कोरिया की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ दिया है। यह घटना लोकतांत्रिक संस्थानों की शक्ति और कानूनी प्रक्रियाओं की पारदर्शिता की परीक्षा है। योल की गिरफ्तारी से यह संदेश स्पष्ट है कि कोई भी व्यक्ति, चाहे वह कितना भी बड़ा पदाधिकारी क्यों न हो, कानून से ऊपर नहीं है। इस घटनाक्रम ने दक्षिण कोरिया के लोकतंत्र और उसके शासन तंत्र की सुदृढ़ता को दर्शाया है।
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