आंध्र प्रदेश के विश्व प्रसिद्ध तिरुपति मंदिर में बुधवार देर रात हुए हादसे ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया। मंदिर में एकादशी दर्शन के लिए उमड़ी भीड़ के चलते भगदड़ मच गई, जिसमें 6 लोगों की मौत हो गई और 40 से अधिक लोग घायल हो गए।
क्या हुआ तिरुपति मंदिर में? हजारों श्रद्धालु एकादशी दर्शन के लिए तिरुपति मंदिर पहुंचे थे। मंदिर प्रशासन ने दर्शन के लिए टोकन जारी करने का फैसला किया और इसके लिए 91 काउंटर लगाए गए थे। लेकिन इन काउंटरों पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। टोकन लेने के लिए लगभग 4000 लोग कतार में थे। स्थिति तब बिगड़ गई जब सभी को पट्टीडा पार्क में जाने के लिए कहा गया। भारी भीड़ के कारण भगदड़ मच गई, जिसमें महिलाएं, बुजुर्ग, और बच्चे भी शामिल थे।
हादसे में जान गंवाने वाले श्रद्धालु हादसे में जान गंवाने वाले 6 लोगों में से कुछ आंध्र प्रदेश और कुछ तमिलनाडु के निवासी थे। फिलहाल एक शव की पहचान हो चुकी है, जबकि 5 शवों की पहचान बाकी है।
प्रशासन ने क्या कहा? टीटीडी (तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम) के बोर्ड मेंबर भानु प्रकाश रेड्डी ने हादसे पर गहरा दुख व्यक्त करते हुए कहा: “हम श्रद्धालुओं से माफी मांगते हैं। यह घटना पहली बार हुई है। घायलों को मेडिकल सुविधाएं दी जा रही हैं।”
टीटीडी के चेयरमेन बी.आर. नायडू ने भी हादसे पर शोक जताते हुए कहा कि इस मामले की जांच की जाएगी और पूरी रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
नगर आयुक्त की सफाई तिरुपति नगर आयुक्त मौर्य ने कहा कि अधिकतर काउंटर पर टोकन वितरण शांति से हो रहा था, लेकिन एमजीएम स्कूल में स्थित काउंटर पर भारी भीड़ इकट्ठा हो गई। वहां एक साथ 4000-5000 लोग मौजूद थे, जिससे भगदड़ मची।
हादसे पर सीएम चंद्रबाबू नायडू की प्रतिक्रिया आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर गहरा शोक व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि: “यह घटना बेहद दुखद है। मैं लगातार जिला और टीटीडी अधिकारियों से संपर्क में हूं और स्थिति पर नजर रख रहा हूं। घायलों को बेहतर चिकित्सा सुविधा देने के निर्देश दिए गए हैं।”
उठते सवाल यह हादसा कई गंभीर सवाल खड़े करता है: 1. टोकन वितरण में अव्यवस्था क्यों? 2. श्रद्धालुओं के लिए केवल 91 काउंटर क्यों लगाए गए? 3. एक साथ 4000 लोगों को पट्टीडा पार्क भेजने का निर्णय किसने लिया? 4. इतनी बड़ी भीड़ को नियंत्रित करने के लिए सुरक्षा उपाय क्यों नहीं किए गए?
आगे की कार्रवाई टीटीडी और प्रशासन ने हादसे की जांच का आश्वासन दिया है। मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की भी संभावना है।
तिरुपति मंदिर में हुई यह घटना न केवल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करती है, बल्कि भविष्य में बेहतर प्रबंधन और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता को भी रेखांकित करती है। श्रद्धालुओं के लिए इस तरह की व्यवस्था सुनिश्चित करना बेहद जरूरी है ताकि धार्मिक स्थलों पर ऐसी त्रासदी फिर से न हो।
Discussion about this post