35 वर्षीय धान्या रवि, जो भंगुर हड्डी रोग (ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा) से ग्रसित हैं, न केवल अपनी बीमारी से जूझ रही हैं, बल्कि इस चुनौतीपूर्ण स्थिति को स्वीकार कर, जीवन में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। जन्म से ही इस गंभीर बीमारी से प्रभावित, धान्या ने यह साबित किया है कि सही दिशा और समर्पण से किसी भी कठिनाई को पार किया जा सकता है।
बीमारी से शुरुआत धान्या का जन्म 1989 में हुआ था, और शुरू से ही वह असमय रोने और लगातार असहजता महसूस करती थीं। डॉक्टर्स ने अंततः इस असमंजस का कारण पाया – धान्या को ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा था, एक आनुवांशिक बीमारी जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं और फ्रैक्चर का खतरा हमेशा बना रहता है। इस बीमारी के कारण धान्या को कई बार फ्रैक्चर का सामना करना पड़ा, और उनका अधिकांश समय अस्पताल में बीता। यहां तक कि छींकने पर भी हड्डी टूटने का डर था।
शिक्षा और संघर्ष धान्या के लिए मुख्यधारा के स्कूल में पढ़ाई करना संभव नहीं था, लेकिन उनकी पड़ोसी विक्टोरिया आंटी ने उन्हें ट्यूशन देकर मदद की। वह अपनी शिक्षा को लेकर कभी निराश नहीं हुईं। हाई स्कूल तक की शिक्षा उन्होंने वहीं प्राप्त की, और बाद में इंदिरा गांधी नेशनल ओपन यूनिवर्सिटी से प्रिपरेटरी कोर्स किया। इसके अलावा, धान्या ने डिजिटल मार्केटिंग और नॉवल राइटिंग में भी शिक्षा ली और सर्टिफिकेट प्राप्त किया।
इंटरनेट ने बदली जिंदगी धन्या का जीवन उस समय एक नया मोड़ लेता है जब उन्हें इंटरनेट के बारे में जानकारी मिलती है। उन्होंने संगीत से जुड़े विभिन्न चैट फोरम और ग्रुप जॉइन किए, जहां उन्होंने बीनू नामक एक लड़के से मुलाकात की, जो उसी बीमारी से ग्रसित था। बीनू की सर्जरी के लिए धन्या ने ऑनलाइन मदद जुटाई, और जल्द ही कई लोग उसकी मदद के लिए आगे आए। बीनू की सर्जरी सफल रही और वह अब वॉकर के सहारे चल सकता है।
एनजीओ और समाज सेवा में योगदान धन्या ने बीनू की मदद के अनुभव के बाद समाज सेवा की दिशा में कदम बढ़ाया। लता नैयर द्वारा स्थापित ‘अमृतावर्शिनी चैरिटेबल सोसायटी’ में उन्होंने सक्रिय भूमिका निभाई, जो ऑस्टियोजेनेसिस इम्परफेक्टा से पीड़ित लोगों के लिए काम करती है। धन्या ने इस बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कई टीवी शो, डिबेट, और सार्वजनिक कार्यक्रमों में भाग लिया। वह प्रेग्नेंट महिलाओं से आनुवांशिक परीक्षण कराने की सलाह देती हैं और बीमारी के शीघ्र निदान और इलाज के महत्व को बताती हैं।
पुरस्कार और सम्मान धन्या के संघर्ष और समाज सेवा के प्रयासों के लिए उन्हें कई पुरस्कार मिले हैं, जिनमें 2018 का नेशनल अवॉर्ड (रोल मॉडल कैटिगरी), ब्रेव बैंगल अवॉर्ड 2012, और इंस्पायर्ड इंडियन फाउंडेशन (IIF) अवॉर्ड 2014 शामिल हैं। उनकी उपलब्धियों से यह साबित होता है कि किसी भी बीमारी से जूझते हुए भी जीवन को सार्थक और सकारात्मक दिशा दी जा सकती है।
समाज में योगदान और भविष्य की दिशा आज धान्या अमेरिका में अपने परिवार के पास हैं, लेकिन उनका भारत के कई एनजीओ के साथ सहयोग जारी है। वह ऑफलाइन और ऑनलाइन मीडिया के लिए फ्रीलांस कंटेंट राइटर, डिजिटल मार्केटर और कॉलमिस्ट के रूप में भी कार्य कर रही हैं। उनका मानना है कि, “जीवन में संघर्ष महत्वपूर्ण होता है, और इससे ही हमें आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है। मैं एक ऐसी पीढ़ी देखना चाहती हूं, जो इस बीमारी से मुक्त हो और इसके लिए शीघ्र परीक्षण और इलाज की सुविधा हो।”
धान्या रवि की कहानी यह सिखाती है कि जीवन में आने वाली कठिनाइयों से न केवल जूझा जा सकता है, बल्कि उन्हें अवसर में बदलकर दूसरों के लिए प्रेरणा भी बनाई जा सकती है। उनकी संघर्षशीलता, समाज सेवा और सकारात्मक दृष्टिकोण यह साबित करते हैं कि कोई भी चुनौती जीवन को जीतने की दिशा में एक कदम आगे बढ़ाने का अवसर बन सकती है।
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