नीलिमा मिश्रा, एक ऐसा नाम जो महिलाओं के सशक्तिकरण और किसानों के उत्थान का प्रतीक बन गया है। महाराष्ट्र के छोटे से गांव बहादरपुर से शुरू हुई उनकी यात्रा ने आज हजारों जरूरतमंदों के जीवन में सकारात्मक बदलाव लाया है। महिला बचत गुटों की स्थापना से लेकर डेयरी उद्योग तक, नीलिमा मिश्रा ने ग्रामीण भारत को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके इस अद्वितीय कार्य के लिए उन्हें 2011 में ‘रेमन मैग्सेसे पुरस्कार’ और 2013 में ‘पद्म श्री’ से सम्मानित किया गया।
सामाजिक कार्यों की शुरुआत नीलिमा मिश्रा ने अपने सामाजिक कार्यों की शुरुआत बहादरपुर गांव से की। वे “दीदी” के नाम से जानी जाती हैं और धुलिया, नंदुरबार, जलगांव, नासिक जैसे जिलों में उनकी पहचान एक प्रेरक नेता के रूप में है। उन्होंने 2000 में ‘भगिनी निवेदिता ग्रामीण विज्ञान निकेतन’ की स्थापना की, जो ग्रामीण उद्योगों और महिलाओं को रोजगार दिलाने के लिए समर्पित है।
महिला बचत गुटों की स्थापना नीलिमा ने महिला सशक्तिकरण के लिए महिला बचत गुटों की शुरुआत की। इन गुटों के माध्यम से महिलाओं को सिलाई, कढ़ाई, गृह उद्योग, और दुग्ध व्यवसाय जैसे क्षेत्रों में रोजगार दिया गया। प्रमुख परियोजनाएं कढ़ाईदार रजाइयों का निर्माण। सिलाई-कढ़ाई और कंप्यूटर प्रशिक्षण। गृह उद्योगों और भोजन डिब्बा सेवा का संचालन। इन गुटों ने अपनी मेहनत से एक करोड़ रुपये का निवेश किया, जिससे महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने में मदद मिली।
किसानों के लिए प्रयास नीलिमा मिश्रा ने किसानों की समस्याओं को समझते हुए उन्हें आर्थिक मदद और तकनीकी जागरूकता प्रदान की। किसानों को ऋण: किसानों को वर्मी कंपोस्ट, देशी खाद, और उन्नत कृषि तकनीकों के लिए ऋण दिया गया। पानी रोको, पानी बचाओ अभियान: उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के लिए नाला निर्माण और खेतों की मेड़ बनवाने जैसे कदम उठाए।
डेयरी उद्योग में क्रांति दूध उत्पादकों के साथ होने वाले अन्याय को रोकने के लिए नीलिमा ने डेयरी स्थापना की संकल्पना की। बहादरपुर गांव के छह जरूरतमंद किसानों को दो-दो भैंस खरीदने के लिए ऋण उपलब्ध कराया गया। इस पहल ने न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाई, बल्कि उन्हें संगठित कर न्यायपूर्ण बाजार तक पहुंच भी दिलाई।
सम्मान और उपलब्धियां नीलिमा मिश्रा के उल्लेखनीय योगदान के लिए उन्हें कई प्रतिष्ठित सम्मान मिले हैं: रेमन मैग्सेसे पुरस्कार (2011): सामाजिक कार्यों में अनुकरणीय योगदान के लिए। पद्म श्री (2013): महिला सशक्तिकरण और ग्रामीण विकास के क्षेत्र में उनकी भूमिका के लिए।
प्रेरणा का स्रोत नीलिमा मिश्रा का मानना है कि समाज को बदलने के लिए जमीनी स्तर पर काम करना जरूरी है। उनका उद्धरण, “हर महिला और किसान आत्मनिर्भर बन सकता है, बस सही मार्गदर्शन और अवसर की जरूरत है,” उनकी सोच और दृढ़ संकल्प को दर्शाता है।
नीलिमा मिश्रा की कहानी समाज के लिए एक प्रेरणा है। उन्होंने न केवल महिलाओं और किसानों को आत्मनिर्भर बनाया, बल्कि ग्रामीण भारत के विकास का एक मॉडल प्रस्तुत किया। उनकी मेहनत और समर्पण हमें यह सिखाते हैं कि अगर दृढ़ संकल्प हो, तो कोई भी बदलाव असंभव नहीं है।
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