मणिपुर में पिछले साल से जारी जातीय संघर्ष ने न केवल राज्य को गहरे संकट में डाल दिया है, बल्कि देशभर में इस मुद्दे पर सियासी तापमान भी बढ़ा दिया है। हिंसा के इस लंबे दौर में 250 से अधिक लोग अपनी जान गंवा चुके हैं और हजारों लोग बेघर हो गए हैं। इस गंभीर स्थिति को लेकर 31 दिसंबर, 2024 को मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने माफी मांगते हुए शांति और सामंजस्य की अपील की। वहीं, कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए उनसे मणिपुर के लोगों से माफी मांगने की मांग की है।
मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की माफी और अपील
31 दिसंबर को आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने राज्य में हुए जातीय संघर्ष के लिए खेद प्रकट किया। उन्होंने कहा, “3 मई से लेकर अब तक जो कुछ भी हुआ, उसके लिए मुझे गहरा अफसोस है। कई लोगों ने अपने प्रियजनों को खो दिया, और हजारों लोग अपने घरों से विस्थापित हो गए। मैं मणिपुर की जनता से माफी मांगता हूं।”
मुख्यमंत्री ने आगे कहा कि पिछले कुछ महीनों में शांति बहाली की दिशा में प्रगति हुई है, और उन्हें विश्वास है कि 2025 में राज्य में सामान्य स्थिति लौट आएगी। उन्होंने सभी समुदायों से अपील की, “हमें अतीत को पीछे छोड़कर एक नई शुरुआत करनी होगी। हमें एक शांतिपूर्ण और समृद्ध मणिपुर के निर्माण के लिए एक साथ काम करना होगा।”
कांग्रेस का आरोप: प्रधानमंत्री से माफी की मांग
कांग्रेस ने मणिपुर की स्थिति को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधा है। कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “प्रधानमंत्री मणिपुर जाकर वहां के लोगों से माफी क्यों नहीं मांग सकते? उन्होंने 4 मई, 2023 से जानबूझकर मणिपुर का दौरा करने से परहेज किया है, जबकि वह देश और दुनिया भर में यात्रा कर रहे हैं।”
जयराम रमेश ने कहा कि मणिपुर के लोग प्रधानमंत्री की ओर से उनकी उपेक्षा को समझ नहीं पा रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री ने मणिपुर के संघर्ष के प्रति अनदेखी का रवैया अपनाया है।
सियासी आरोप-प्रत्यारोप के बीच शांति की उम्मीद
मणिपुर का संघर्ष न केवल राज्य के लिए एक सामाजिक संकट है, बल्कि यह राष्ट्रीय सियासत में भी गर्म मुद्दा बन गया है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की माफी को शांति और सामंजस्य की दिशा में सकारात्मक कदम माना जा सकता है। हालांकि, कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री पर लगाए गए आरोपों ने इस मुद्दे को और अधिक सियासी रंग दे दिया है।
मणिपुर में वर्तमान स्थिति और भविष्य की दिशा
मणिपुर में जातीय संघर्ष ने राज्य के सामाजिक ताने-बाने को गहरा नुकसान पहुंचाया है। हजारों लोग अब भी विस्थापित जीवन जी रहे हैं। मुख्यमंत्री द्वारा शांति की अपील और 2025 में सामान्य स्थिति बहाल होने की उम्मीद राज्य के लिए नई राह खोल सकती है।
राजनीतिक दलों को एकजुटता की जरूरत
मणिपुर जैसे संवेदनशील मुद्दे पर आरोप-प्रत्यारोप से परे, राजनीतिक दलों को एकजुट होकर राज्य में शांति और विकास की दिशा में काम करना होगा। मुख्यमंत्री की माफी और शांति की अपील महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके साथ जमीनी स्तर पर ठोस कार्यवाही की भी आवश्यकता है।
मणिपुर में जारी संघर्ष ने राज्य के लोगों को भारी पीड़ा दी है। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह की माफी और शांति की अपील उम्मीद की किरण है। वहीं, कांग्रेस द्वारा प्रधानमंत्री से माफी मांगने की मांग ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय सियासत का केंद्र बना दिया है। ऐसे में यह महत्वपूर्ण है कि राजनीतिक दल मिलकर मणिपुर को शांति और विकास की राह पर ले जाने के लिए प्रयास करें। 2025 मणिपुर के लिए एक नई शुरुआत का साल बन सकता है, बशर्ते सभी हितधारक सकारात्मक भूमिका निभाएं।
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