भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल करने की तैयारी कर ली है। सोमवार रात 9:58 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से पीएसएलवी-सी60 रॉकेट के जरिए “स्पेस डॉकिंग एक्सपेरिमेंट” (स्पैडेक्स) मिशन लॉन्च किया जाएगा। इस मिशन के साथ ही भारत अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा।
स्पैडेक्स मिशन: उद्देश्य और महत्व
इसरो का स्पैडेक्स मिशन अंतरिक्ष में दो यानों के डॉकिंग और अनडॉकिंग की तकनीक को प्रदर्शित करने के लिए एक ऐतिहासिक पहल है। यह मिशन न केवल तकनीकी दृष्टि से महत्वपूर्ण है बल्कि भारत के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष कार्यक्रमों जैसे चंद्रयान-4, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन और चंद्रमा पर भारतीयों को भेजने की दिशा में भी एक बड़ी सफलता साबित होगा।
मिशन की मुख्य विशेषताएं
1. डॉकिंग और अनडॉकिंग तकनीक का प्रदर्शन: स्पैडेक्स मिशन का प्राथमिक उद्देश्य दो छोटे यानों, एसडीएक्स-01 (चेजर) और एसडीएक्स-02 (टारगेट), के बीच डॉकिंग और अनडॉकिंग की प्रक्रिया को सफलतापूर्वक प्रदर्शित करना है।
2. 476 किलोमीटर की कक्षा में स्थापना: पीएसएलवी-सी60 रॉकेट इन दोनों यानों को 476 किलोमीटर की गोलाकार कक्षा में स्थापित करेगा।
3. भविष्य के मिशनों की नींव: यह मिशन चंद्रमा पर नमूने लाने, भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन (बीएएस) के निर्माण और अंतरिक्ष यान सेवा अभियानों के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा।
एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02: हाई-टेक यान
1. एसडीएक्स-01 (चेजर): इसमें एक हाई-रिज़ॉल्यूशन कैमरा लगा है, जो डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रियाओं की सटीकता सुनिश्चित करेगा।
2. एसडीएक्स-02 (टारगेट): इसमें दो पेलोड हैं, जो उच्च-रिज़ॉल्यूशन तस्वीरें लेने और प्राकृतिक संसाधन निगरानी में मदद करेंगे।
दोनों यान डॉकिंग और अनडॉकिंग प्रक्रियाओं के प्रदर्शन के बाद अगले दो वर्षों तक पृथ्वी की परिक्रमा करेंगे।
पीएसएलवी-सी60 और पीओईएम-4 का उपयोग
स्पैडेक्स मिशन के तहत पीएसएलवी-सी60 रॉकेट का उपयोग किया जाएगा। इसके साथ ही इसरो अपने प्रायोगिक पीओईएम-4 (पीएसएलवी ऑर्बिटल एक्सपेरिमेंटल मॉड्यूल-4) मिशन का प्रदर्शन भी करेगा। यह प्लेटफॉर्म पीएस4 चरण का उपयोग करके 24 अतिरिक्त पेलोड के साथ प्रयोग करेगा।
केंद्रीय मंत्री का बयान
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मिशन को भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा, “स्पैडेक्स मिशन भारत को अंतरिक्ष डॉकिंग तकनीक में सक्षम देशों की सूची में शामिल करेगा। यह तकनीक भविष्य के चंद्र अभियानों और भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन की दिशा में अहम भूमिका निभाएगी।”
भारत का अंतरिक्ष विज्ञान में भविष्य
स्पैडेक्स मिशन भारत के अंतरिक्ष विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर साबित होगा। यह मिशन न केवल अंतरिक्ष में भारत की स्वायत्तता को बढ़ाएगा बल्कि भारत के चंद्र अभियानों और अंतरिक्ष अन्वेषण में भी नई ऊंचाइयों को छुएगा।
“भारत अंतरिक्ष के अनंत आयामों में अपनी प्रतिभा और नवाचार से नई इबारत लिखने को तैयार है। स्पैडेक्स मिशन इस दिशा में एक मजबूत कदम है।”
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