उत्तराखंड:- पिथौरागढ़ जिले में धारचूला-तवाघाट नेशनल हाइवे पर एक भयानक भूस्खलन ने सभी को स्तब्ध कर दिया। यह घटना तब हुई जब हाईवे निर्माण कार्य में लगे हिलवेज कंपनी ने चट्टानों को तोड़ने के लिए बारूदी विस्फोट किया। इस विस्फोट के कारण पूरी चट्टान दरक गई और बड़े पैमाने पर मलबा सड़क पर आ गिरा।
भूस्खलन के समय का भयावह दृश्य
भूस्खलन इतना भीषण था कि चारों ओर धूल का गुबार छा गया। सैकड़ों लोग अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे। राहत की बात यह रही कि घटना के समय वहां से कोई भी वाहन नहीं गुजर रहा था, अन्यथा बड़ी जनहानि हो सकती थी। भूस्खलन के कारण हाईवे पर यातायात पूरी तरह बाधित हो गया, और कई वाहन फंस गए।
भूस्खलन के कारण और प्रशासन की प्रतिक्रिया
हाईवे का निर्माण कार्य कर रही हिलवेज कंपनी पर आरोप है कि चट्टानों को तोड़ने के लिए किए गए बारूदी विस्फोट ने इस भूस्खलन को जन्म दिया। विस्फोट के प्रभाव से चट्टानों का भारी हिस्सा टूटकर सड़क पर गिर गया।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस घटना का तुरंत संज्ञान लिया और अधिकारियों को मार्ग को जल्द से जल्द खोलने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा, “पिथौरागढ़ जिले के तवाघाट-धारचूला नेशनल हाइवे पर हुई इस भूस्खलन की घटना से यातायात प्रभावित हुआ है। राहत की बात यह है कि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई है।” मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन और संबंधित विभागों को त्वरित कार्रवाई करते हुए मलबा हटाने और यातायात बहाल करने के निर्देश दिए।
राहत कार्य में जुटा प्रशासन
घटना के तुरंत बाद जिला प्रशासन ने मौके पर राहत कार्य शुरू कर दिया। भारी मलबे को हटाने के लिए मशीनरी और श्रमिकों को लगाया गया। स्थानीय लोगों ने भी प्रशासन के साथ मिलकर राहत कार्य में सहयोग किया। हालांकि, सड़क पर बड़े पैमाने पर मलबा होने के कारण यातायात बहाल करने में समय लग सकता है।
स्थानीय लोगों में दहशत और चिंता
भूस्खलन के कारण स्थानीय लोगों में भय का माहौल है। लोगों का कहना है कि बारूदी विस्फोट के कारण इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, जो न केवल पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रही हैं, बल्कि लोगों की जान को भी खतरे में डाल रही हैं। स्थानीय निवासियों ने इस तरह के विस्फोटों पर रोक लगाने और वैकल्पिक विधियों के उपयोग की मांग की है।
भविष्य के लिए सबक
यह घटना एक बार फिर से यह सोचने पर मजबूर करती है कि पहाड़ी इलाकों में निर्माण कार्य के दौरान पर्यावरण और सुरक्षा मानकों का पालन कितना जरूरी है। भूस्खलन जैसी घटनाएं न केवल जान-माल का नुकसान करती हैं, बल्कि यातायात और जनजीवन को भी बुरी तरह प्रभावित करती हैं।
पिथौरागढ़ में हुई इस भूस्खलन की घटना में किसी भी प्रकार की जनहानि न होना एक बड़ी राहत की बात है। हालांकि, यह घटना भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचने के लिए सतर्क रहने की चेतावनी है। प्रशासन और निर्माण कंपनियों को पर्यावरण-संवेदनशील इलाकों में कार्य करते समय विशेष सावधानी बरतने की आवश्यकता है। वहीं, स्थानीय लोगों को भी सतर्क और जागरूक रहने की जरूरत है, ताकि ऐसी घटनाओं से होने वाले खतरे को कम किया जा सके।
Discussion about this post